To,
The Chairperson
National Human Rights Commission
New Delhi
Dear Sir,
I want to bring in your kind attention towards the news published in Amar Ujala on 7th February, 2013 यूपी पुलिस ने बच्चे को दिया करंट व जूतों से पीटा http://www.amarujala.com/news/states/uttar-pradesh/five-year-old-child-tortured-by-lucknow-police/
यूपी पुलिस ने बच्चे को दिया करंट व जूतों से पीटा लखनऊ/ब्यूरो | Last updated on: February 7, 2013 8:53 AM IST टैग्स » five year old child, up police, torture
‘मैं अपने घर के पास के शिव मंदिर में रोज प्रसाद खाने जाता हूं। उस दिन भी गया था, लेकिन कुछ लोगों ने मुझे चोर बताकर पकड़ा और घर ले आए। वहां से पुलिस के पास ले गए। मैं चिल्लाता रहा कि मैंने कुछ नहीं किया... किसी ने नहीं सुनी। पुलिस ने मुझे हवालात में बंद किया और रात भर मारा और चोरों का पता पूछते रहे। मुझे नहीं मालूम था, कौन चोर हैं? इसलिए कुछ नहीं बता सका। फिर उन्होंने मेरे कान पर बिजली के तार लपेटे और करंट देने लगे। पहले 8-10 बार करंट दिया। मैं चिल्लाता रहा, रोता रहा, वो नहीं रुके। उन्होंने मुझे काफी देर तक करंट दिया और जूतों से मारा।’ यह दर्दनाक कहानी साढ़े पांच साल के उस मासूम की है, जिसे लखनऊ पुलिस ने चोरी के इल्जाम में पकड़कर अमानवीय यातनाएं दी। वाकया आलमबाग के विजयनगर का है और यह भयानक करतूत कृष्णानगर पुलिस की है। मासूम अब भी सदमे में है। बुधवार को उसे किशोर न्याय बोर्ड के सामने पेश किया गया, जहां उसकी हालत देख बोर्ड ने उसे तत्काल जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। घटना के बाद से परिवार सहमा हुआ, सदमे में है। कृष्णानगर पुलिस ने दो फरवरी को क्षेत्र में हुई एक चोरी के इल्जाम में कक्षा एक में पढ़ रहे सुदीप (नाम परिवर्तित) को गिरफ्तार किया। सुदीप के पिता बताते हैं कि कुछ लोगघर में सुदीप को लेकर आए और यह कहते हुए फिर उठाकर पुलिस के पास ले गए कि उसने चोरी की है। वे उस रात डेढ़ बजे तक कृष्णानगर पुलिस थाने में अपने बच्चे से मिलने के लिए बैठे रहे लेकिन उन्हें बच्चे से मिलने नहीं दिया। वे बाहर बैठे रहे और अंदर उनके कलेजे के टुकड़े को पुलिस वाले बुरी तरह पीट रहे थे। उसकी चीखें पिता बर्दाश्त न कर सके और पुलिस वालों के सामने गिड़गिड़ाने लगे। पुलिस ने उनकी एक न सुनी और वहां से भगा दिया। अगले दिन उन्होंने वकील से संपर्क किया और चालान कटवा कर सुदीप को घर लाए। इस दौरान पाया कि उसकी जैकेट खून से सनी हुई है, कनपटी से खून रिस रहा है। उससे चला नहीं जा रहा था। सुदीप के माता-पिता रोते हुए बताते हैं कि उनके बच्चे ने चोरी नहीं की है। पुलिस अब भी उन्हें तंग कर रही है। लोगों ने पीटकर पुलिस को सौंपा था बच्चा कृष्णानगर थाने के इंस्पेक्टर रामसनेही यादव का कहना है कि नागरिकों ने दो फरवरी की रात सुदीप को एक समारोह में चोरी करते पकड़ा था। उसकी पिटाई करके थाने लाकर पुलिस को सौंपा था। पुलिस ने नागरिकों की तरफ से उसकी गिरफ्तारी की लिखा-पढ़ी की और डॉक्टरी मुआयना कराने के बाद किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया। उसकी न तो थाने में पिटाई की गई और न ही प्रताड़ित किया गया। मामला संज्ञान में नहीं एसएसपी आरके चतुर्वेदी का कहना है कि कृष्णानगर कोतवाली में किसी बच्चे की पिटाई का मामला उनके संज्ञान में नहीं है। बच्चे या उसके अभिभावक द्वारा कोई शिकायत नहीं की गई है। ऐसी शिकायत मिलने पर जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। Therefore it is a kind request please take appropriate action at earliest.
Thanking You
Sincerely Yours
Shruti Nagvanshi, Managing Trustee
Peoples' Vigilance Committee on Human Rights
Sa 4/2 A Daulatpur, Varanasi - 221002
Mobile No: +91-9935599330
The Chairperson
National Human Rights Commission
New Delhi
Dear Sir,
I want to bring in your kind attention towards the news published in Amar Ujala on 7th February, 2013 यूपी पुलिस ने बच्चे को दिया करंट व जूतों से पीटा http://www.amarujala.com/news/states/uttar-pradesh/five-year-old-child-tortured-by-lucknow-police/
यूपी पुलिस ने बच्चे को दिया करंट व जूतों से पीटा लखनऊ/ब्यूरो | Last updated on: February 7, 2013 8:53 AM IST टैग्स » five year old child, up police, torture
‘मैं अपने घर के पास के शिव मंदिर में रोज प्रसाद खाने जाता हूं। उस दिन भी गया था, लेकिन कुछ लोगों ने मुझे चोर बताकर पकड़ा और घर ले आए। वहां से पुलिस के पास ले गए। मैं चिल्लाता रहा कि मैंने कुछ नहीं किया... किसी ने नहीं सुनी। पुलिस ने मुझे हवालात में बंद किया और रात भर मारा और चोरों का पता पूछते रहे। मुझे नहीं मालूम था, कौन चोर हैं? इसलिए कुछ नहीं बता सका। फिर उन्होंने मेरे कान पर बिजली के तार लपेटे और करंट देने लगे। पहले 8-10 बार करंट दिया। मैं चिल्लाता रहा, रोता रहा, वो नहीं रुके। उन्होंने मुझे काफी देर तक करंट दिया और जूतों से मारा।’ यह दर्दनाक कहानी साढ़े पांच साल के उस मासूम की है, जिसे लखनऊ पुलिस ने चोरी के इल्जाम में पकड़कर अमानवीय यातनाएं दी। वाकया आलमबाग के विजयनगर का है और यह भयानक करतूत कृष्णानगर पुलिस की है। मासूम अब भी सदमे में है। बुधवार को उसे किशोर न्याय बोर्ड के सामने पेश किया गया, जहां उसकी हालत देख बोर्ड ने उसे तत्काल जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। घटना के बाद से परिवार सहमा हुआ, सदमे में है। कृष्णानगर पुलिस ने दो फरवरी को क्षेत्र में हुई एक चोरी के इल्जाम में कक्षा एक में पढ़ रहे सुदीप (नाम परिवर्तित) को गिरफ्तार किया। सुदीप के पिता बताते हैं कि कुछ लोगघर में सुदीप को लेकर आए और यह कहते हुए फिर उठाकर पुलिस के पास ले गए कि उसने चोरी की है। वे उस रात डेढ़ बजे तक कृष्णानगर पुलिस थाने में अपने बच्चे से मिलने के लिए बैठे रहे लेकिन उन्हें बच्चे से मिलने नहीं दिया। वे बाहर बैठे रहे और अंदर उनके कलेजे के टुकड़े को पुलिस वाले बुरी तरह पीट रहे थे। उसकी चीखें पिता बर्दाश्त न कर सके और पुलिस वालों के सामने गिड़गिड़ाने लगे। पुलिस ने उनकी एक न सुनी और वहां से भगा दिया। अगले दिन उन्होंने वकील से संपर्क किया और चालान कटवा कर सुदीप को घर लाए। इस दौरान पाया कि उसकी जैकेट खून से सनी हुई है, कनपटी से खून रिस रहा है। उससे चला नहीं जा रहा था। सुदीप के माता-पिता रोते हुए बताते हैं कि उनके बच्चे ने चोरी नहीं की है। पुलिस अब भी उन्हें तंग कर रही है। लोगों ने पीटकर पुलिस को सौंपा था बच्चा कृष्णानगर थाने के इंस्पेक्टर रामसनेही यादव का कहना है कि नागरिकों ने दो फरवरी की रात सुदीप को एक समारोह में चोरी करते पकड़ा था। उसकी पिटाई करके थाने लाकर पुलिस को सौंपा था। पुलिस ने नागरिकों की तरफ से उसकी गिरफ्तारी की लिखा-पढ़ी की और डॉक्टरी मुआयना कराने के बाद किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया। उसकी न तो थाने में पिटाई की गई और न ही प्रताड़ित किया गया। मामला संज्ञान में नहीं एसएसपी आरके चतुर्वेदी का कहना है कि कृष्णानगर कोतवाली में किसी बच्चे की पिटाई का मामला उनके संज्ञान में नहीं है। बच्चे या उसके अभिभावक द्वारा कोई शिकायत नहीं की गई है। ऐसी शिकायत मिलने पर जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। Therefore it is a kind request please take appropriate action at earliest.
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Shruti Nagvanshi, Managing Trustee
Peoples' Vigilance Committee on Human Rights
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