बाल महोत्सव में बाल अभिव्यक्ति – “हिफ़ाजत मेरा हक़”
बाल
पंचायत के बच्चों ने लघु नाटकों द्वारा बाल हकों की पैरवी में बुलन्द की अपनी आवाज.........
वाराणसी के मूलगादी कबीरचौरा
मठ में विभिन्न बाल पंचायतों के प्रतिनिधि बच्चों ने बाल महोत्सव “हिफ़ाजत मेरा हक़” में लघु नाटकों के माध्यम से बाल
श्रम, गुमशुदा बच्चों एवं बाल विवाह के मुद्दों पर अपनी प्रस्तुति देते हुए अपने बाल
अधिकारों की पुरजोर पैरवी की | अपने नाटकों से जरिये इन बच्चों ने समाज को यह
सोचने पर विवश किया कि बाल संरक्षण के कई कानूनों और विभिन्न सुरक्षा प्रणालियों
के बाद आज भी बड़ी संख्या में बच्चे शिक्षा और विकास से दूर खुशहाल बचपन का सिर्फ
सपना संजोये शोषण और यातना का शिकार हैं | जिसमें
बच्चों के सुरक्षा और संरक्षण के मुद्दे
पर सवाल खड़ा किया गया |
हिफाजत मेरा हक – बाल महोत्सव का आयोजन मानवाधिकार जननिगरानी समिति (PVCHR) जनमित्र न्यास (JMN) द्वारा ग्लोबल फण्ड फॉर चिल्ड्रेन
(GFC) एवं सर दोराब जी टाटा ट्रस्ट (SDTT) के सहयोग से किया गया | जिसमें वाराणसी जिले के विभिन्न ब्लाकों से वंचित व अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों के कुल 38 बच्चों द्वारा तीन लघु नाटकों में गुमशुदा बच्चों के मुद्दे पर “खो गये हैं हम” बालश्रम के मुद्दे पर “मेरा भी है बचपन” बालविवाह के मुद्दे पर “करनी थी पढाई हो गयी विदाई” के माध्यम से अधिकारों की पुरजोर पैरवी और अपने विचारों की अभिव्यक्ति की गयी | इन
नाटकों में बच्चो ने उन समस्याओं और चुनौतियों को सामने उकेरने का प्रयास किया जिन
वे और उनके जैसे दूसरे लाखों बच्चे रोजमर्रा की जिन्दगी में सामना करते हैं |
इन लघु नाटकों की रचना बच्चों ने पिछले तीन दिन के थियेटर कार्यशाला में श्री वाल्टर पीटर (पूर्व सदस्य, TIE, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा) के निर्देशन में किया |
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि यशभारती सम्मान से सम्मानित सुप्रसिद्ध सरोद वादक
पण्डित विकास महाराज जी रहे एवं विशिष्ट अतिथि आचार्य संत विवेकदास जी एवं सुश्री
तीस्ता सीतलवाड़ रहीं | इस मौके पर बच्चों ने प्रतीकात्मक रूप पटाखों को पानी
में डालकर दीपावली पर पटाखा नही जलाने का संकल्प लिया और सभी से यह अपील किया कि
वे भी दीपावली पर दीप जलाकर दीवाली मनाएं पटखा जलाकर नही | महोत्सव में कुल
उन्नीस (19) बाल पंचायतों से सैकड़ो बच्चे और उनके माता पिता सहित शहर के प्रबुध्दजनो ने बड़े उत्साह से भाग
लिया और बाल सुरक्षा की पैरवी की |
कार्यक्रम के औचित्य पर प्रकाश डालते हुए श्रुति नागवंशी मैनेजिंग
ट्रस्टी, ने कहा “बाल सुरक्षा की स्थिति उत्तर प्रदेश की
भयावह स्थिति सामने लाता है | प्रदेश में गुमशुदा बच्चों, लिंग अनुपात, बाल
श्रम, बाल विवाह, बाल यौन हिंसा की घटनाओ में दुसरे
प्रदेशों से कंही अधिक है | हमें बाल संरक्षण के काम में लगे ढाचों व् व्यवस्थायों
को मजबूत करते हुए , सभी हितधारकों के समन्वय और जवाबदेही
को बढ़ावा देकर राज्य, जिला और समुदाय स्तर पर एक मजबूत
निवारक और जवाबदेह बाल संरक्षण प्रणाली को बनाने, स्थापित करने मजबूत करने की जरूरत
है |"
मुख्य अतिथि पण्डित
विकास महाराज जी ने कहाकि बच्चे ही देश का
भविष्य हैं किन्तु वे जिन अमानवीय परिस्थितियों में जीने को बाध्य हैं इससे न केवल
उन बच्चों का बचपन प्रभावित होता है बल्कि देश का भविष्य और विकास भी प्रभावित हो
रहा है |
विशिष्ट अतिथि सुश्री तीस्ता सीतलवाड़ ने कहाकि बाल अधिकारों के संरक्षण और सम्वर्धन
के लिए सरकार के साथ ही समाज को बहुत समवेदनशीलता जबाबदारी के साथ काम करने की
बेहद जरूरत है | इस अवसर पर मानवाधिकार जननिगरानी समिति के निदेशक डा. लेनिन
रघुवंशी, इदरीश अंसारी सहित काशी विद्यापीठ समाजकार्य विभाग सुश्री भावना वर्मा,
मुनिजा खान, जिला बाल संरक्षण अधिकारी सुश्री. निरुपमा सिंह, जिला प्रोवेशन
अधिकारी श्री प्रभात रंजन जी उपस्थित रहे |
उत्तर प्रदेश में बाल सुरक्षा की स्थिति
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2012 में दर्ज राज्य अपराध रिकार्ड ब्यूरो
(SCRB) के अनुसार
कुल लापता 3879 बच्चों में केवल 2310 बच्चे ही घर वापस आ पाये शेष 1569
बच्चे अभी भी लापता
हैं |
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2011 की जनगणना के अनुसार राज्य के कई जिलों में बच्चों का लिंग अनुपातबहुत कम रिकार्ड किया गया है
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एनएसएसओ 2009-10 के अनुसार उत्तर प्रदेश में 1775333
बाल श्रमिक है
जो कि देश में सबसे अधिक संख्या है |
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नेशनल अपराध रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) के 2011 के डेटा से पता चलता है कि बच्चों के प्रति अपराधों में 24%
की वृद्धि हुई है |
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शिशु मृत्यु दर प्रति
1000 जीवित जन्म में 70 मौते होती है जो रास्ट्रीय औसत 1000 जीवित में 52 मौतों की
तुलना अधिक है |
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50% लडकियों का विवाह 18
साल से कम उम्र में ही हो जाता है |
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केवल उत्तर प्रदेश में
लगभग 9 लाख बच्चे बालश्रम में लगे हैं |
कुछ
विशेष और आवश्यक प्रयास जो सुरक्षा के लिए किये जाने चाहिए :
§ बच्चो को उत्पीड़न, हिंसा और शोषण से
बचाने के लिए बच्चों के लिए एक सुरक्षात्मक वातावरण बनाया जाय |
§ सभी स्तरों पर बाल
संरक्षण संरचनाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए विभिन्न स्तरों आईसीपीएस के तहतगांव, ब्लॉक एवं जिला बाल
संरक्षण इकाइयों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम बनाए जाय और पदाधिकारियों के लिए
अलग|
§ राज्य में लापता
बच्चों के लिए संचालन प्रक्रिया के निर्माण का मानक सुनिश्चित किया जाय |
§ राज्य के सभी जिलों
में एंटी मानव तस्करी सेल को सक्रिय किया जाय |
§ पूरे राज्य में
पुलिस स्टेशन के लिए यह अनिवार्य किया जाय कि माननीय उच्च न्यायालय के दिशानिर्देश
के अनुसार किसी भी बच्चे के लापता होने का अनिवार्य रजिस्टर बनाया जाय और और
किशोरों की शिकायत को देखने के लिए एक विशेष पुलिस अधिकारी की नियुक्ति की जाय,प्रत्येक
लापता बच्चे की रिपोर्ट को प्राथमिकी (FIR) में परिवर्तित किया जाना चाहिए |
§ ICPS के मूल्यांकन
पर जिला स्तर पर कमजोर परिवारों की पहचान की जाय और गैर संस्थागत देखभाल और
पालक-देखभाल को प्रायोजित किया जाय |
§ उत्पीड़न, हिंसा और शोषण से
बच्चों की सुरक्षा के लिए सभी कानूनो का क्रियान्वयन हो; उदाहरण के लिए, बाल विवाह निषेश अधिनियम, 2006 का प्रभावी
कार्यान्वयन; बाल श्रम निषेध एवं
विनियमन अधिनियम,
1986;
POCSO अधिनियम, 2012 आदि |