Friday 4 December 2015

वार्ड ब्वाय बना वाराणसी के मण्डलीय अस्पताल का सर्जन जिसके कारण गवाना पड़ा यश को अपना एक पैर

वार्ड ब्वाय बना वाराणसी के मण्डलीय अस्पताल का सर्जन जिसके कारण गवाना पड़ा यश को अपना एक पैर
घटना का विवरण :
शंकर चौधरी और उसकी पत्नी सुनीता देवी, निवासिनी  मकान न० जे० 35/67, A – 18, A शैलपुत्री, नक्खीघाट जिला वाराणसी की रहने वाली हैं | उनके पुत्र यश उर्फ़ आकाश चौधरी को 23 अगस्त, 2015 को  ट्राली से गंभीर चोट लग गयीजिसके बाद यश को श्री शिवप्रसाद गुप्त कबीरचौरा मण्डलीय अस्पताल में इलाज हेतु पहुचे | जहाँ पर ओ०पी०डी० इमरजेंसी में मौजूद वार्ड ब्वाय दीना यादव ने घटना की गंभीरता को देखे बगैर तुरंत बच्चे को टांका लगाया और बोला कि चार दिन में आपका बच्चा दौड़ने लगेगा | बच्चा बिलकुल ठीक है, कोई घबराने की बात नहीं है और कहा कि बच्चे को 2घंटे बाद हमारे क्लिनिक पर ले आईये, हम उसका वहां पर बढ़िया ईलाज करेंगे | वहां पहुँचने पर बच्चे के पिता और मामा के मना करने के बावजूद उन्होंने बच्चे को प्लास्टर बाँध दिया और बोले की आप डाक्टर मत बनिए |  इस मामले में उक्तदीना यादव द्वारा पीड़िता व उसके परिवार वालों को अपने आप को चिकित्सक बताकर सारा ग़लत कार्य किया गया |जिसके कारण चार दिन बाद बच्चे का पुरा पैर काला पड गया और बी०एच०यू ले जाने पर वहां के डाक्टरों ने केस लेने से मना कर दिया | जिसके बाद पीड़िता व उसके पति शिवपुर के प्राईवेट अस्पताल श्यामा हॉस्पिटल ले गए और अत्यधिक गंभीर हालत होने पर बच्चे का पैर काटना पड़ गया | इस मामले में पीड़ित बच्चे के माता-पिता द्वारा 1 सितम्बर, 2015 को अस्पताल प्रशासन और वरिष्ठ मुख्य चिकित्सा अधिकारी के यहाँ लिखित शिकायत किया था | लेकिन वहां पर आरोपी कर्मचारी के खिलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं किया गया | उनके द्वारा 4, सितम्बर, 2015 को पुलिस में शिकायत की गयी परतु कोइ कार्यवाही नहीं हुयी | इस पूरे घटना को हिन्दुस्तान दैनिक अख़बार ने फालोअप के रूप में कई महीने तक प्रकाशित किया | परन्तु इस मामले में कोइ भी कार्यवाही नहीं हुई | बल्कि अस्पताल प्रशासन उलटे पीडिता को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है |
शिकायत की गयी :  
इसके बाद हिन्दुस्तान अख़बार के एक रिपोर्टर ने पीडिता को मानवाधिकार जननिगरानी समिति के कार्यालय में भेजा जिसके बाद पीडिता की पूरी बात सुनकर
·   राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,
·   राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग,
·   वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वाराणसी,
·   माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश,
·   मुख्य चिकित्साधिकारी वाराणसी,
·   माननीय स्वास्थ्य मंत्री उत्तर प्रदेश,
·   माननीय प्रधानमंत्री भारत
को लिखित रूप में की गयी |

कार्यवाही हुई :
·   माननीय मुख्यमंत्री कार्यालय से जिलाधिकारी वाराणसी को इसपर कार्यवाही का निर्देश दिया गया |
·   राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और मुख्य चिकित्साधिकारी को नोटिस जारी करते हुए 30 दिन रिपोर्ट माँगी है |
·   राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने भी जिलाधिकारी वाराणसी को नोटिस देते हुए 30 दिन इस केस में FIR सहित मुआवजे की रिपोर्ट माँगी है |   









Wednesday 2 December 2015

मात्र व शिशु स्वास्थ्य देखभाल हेतु जिला महिला अस्पताल अस्पताल में लापरवाही

सेवा में
अध्यक्ष महोदय
राष्ट्रीय  मानव अधिकार आयोग
नई दिल्ली  |

विषय- जनपद वाराणसी में

मात्र व शिशु स्वास्थ्य देखभाल हेतु जिला महिला अस्पताल अस्पताल में लापरवाही के सन्दर्भ में सन्दर्भ में |  
महोदय ,
       विदित हो कि वाराणसी जनपद के जिला महिला अस्पताल में 29 नवम्बर 2015 दिन रविवार को बिजली की आपूर्ति न होने से मोमबत्ती की रोशनी में गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया जिसके कारण गर्भवती माँ व बच्चों की स्थिति  खतरनाक हो सकती है |
     इस अस्पतालों में जनरेटर व डीजल की सुविधा उपलब्ध होने के पर भी इसका उपयोग नहीं किया गया और न ही कोई मैकनिकल को बुलाया गया | यह खबर जनसंदेश टाइम्स व दैनिक जागरण दैनिक समाचार पत्र से ली गयी जिसके आधार पर शिकायत की जा रही है
 अत : आप से विनम्र निवेदन है की उक्त मामलों को संज्ञान में लेते हुए कार्यवाही करने की कृपा करे |
  
सलग्नक :-  दिनांक- 30 नवम्बर 2015 का जनसंदेश टाइम्स दैनिक समाचार पत्र (पेज न.4 ) की खबर




                                                                 श्रुति
                                                                 ( मैनेजिंग ट्रस्टी )
( मानवाधिकार जननिगरानी समिति )
                                                           मो. 09935599330




Thursday 15 October 2015

Go girls power

On the auspicious celebration of the International Girl Childhood Day as “The Power of the Adolescent Girl: Vision for 2030, PVCHR is delighted to share our small grass – root interventions making difference in the lives of the adolescence girls of the most marginalized communities.

PVCHR implements cost – effective multi – layers and multi – dimensional activities to adolescent girls should have the right to a safe, educated, and healthy life, not only during these critical formative years, but also as they mature into women. Investing in adolescent girls helps break cycles of poverty.
Most of the adolescence girls faced obstacle in continuing their education due to the following reasons:  1). Security, 2) Pressure of early marriage due to which parents do not want to spend money on higher education as they want to save money for marriage and 3). Spending more time in sibling cares and learning for doing household work.   
We provided scholarship to 110 girls with the support from Raj Dulari Foundation, Sir Dorabji Tata Trust and DIG, Germany. We are not only providing financial support but also creating awareness and discourse within the adolescence girls, families and society through the group of cadres belonging to same community.
The three young girls Chanda, Jyoti and Pooja are the classical example who flagged a campaign ‘Will not do kitchen, I want to get educate” campaign against child marriage in 2010. They lit the campaign from opposing their own children marriage but also prevent other to do so.
They are creating awareness in their area through meeting, street march, open letter, signature campaign, slogan, distributing promotional materials and showcasing their theatre play Sindhoor nahi Sikha, which shows the demerits of the child marriage, Says, Lenin Raghuvanshi, Founder and CEO of PVCHR
On the 17th of August 2015 PVCHR and Raj Dulari Foundation launched an entirely new project for the girl child, a project called Shama; Freedom Cycle. As this is a first launch, 80 bicycles were distributed to girls who belong to marginalised communities. The girls benefitting from this initiative explained openly that they “हमारे हौसलों में लगे सुनहरे पंख” (Our dream brimming with Golden wings).  This bicycle had provided them security and empowerment. [i]
Shabeena resident of Chiriya, Lakhmipur in Badagaon block of Varanasi district said, “I study in class X in Adaf Raza Inter College, Kuwar, Varanasi. Daily I have to do household work and go to school for study. Due to that I got tired and does not manage to continue my school daily. I feel very bad from inside when I missed my school because my parents work hard as a daily wages labourer to pay my fees.
After being awarded with the SHAMA Bicycle for freedom, now I am daily going to school and also became helping hands to my parents. Now my father says Shabeena is not only my daughter but she is my son. I want to be a teacher”.
On 6th July, 2015 we launched a campaign Ham Jholi (friends of similar age) for creating a broader platform for the adolescence girls not only for their capacity building, creating awareness but 24 hours open for doing consultation on the problem and challenges faced by  them. In the first workshop around 55 girls were trained on the gender perspective, Says, Shruti Nagvanshi, Convenor, Savitri Bai Phule Women Forum.
PVCHR sent its 23 points recommendation to all concerned authorities to creating a better place.
Few Links:


·         http://vimeo.com/71011069
·         http://vimeo.com/71084529

·         http://www.bhaskar.com/news/UP-VAR-kashi-two-daughters-campaign-against-flirting-and-rape-4785865-PHO.html


Thursday 27 August 2015

किशोरी स्वास्थ्य एवं स्वच्छता

       किशोरी स्वास्थ्य एवं स्वच्छता विषयक एक दिवशीय कार्यशाला

                           6 जुलाई 2015, राजा सुहैल देव जनमित्र केन्द्र बघवानाला, वाराणसी                             

जनमित्र न्यास / मानवाधिकार जननिगरानी समिति और चाईल्ड राइट्स एंड यू के सहयोग द्वारा राजा सुहेल देव जनमित्र शिक्षण केन्द्र बधवानाला वाराणसी में “किशोरी स्वास्थ्य एवं स्वच्छता” विषयक एक दिवसीय कार्यशाला 06 जुलाई, 2015 को आयोजित किया गया जिसमें लक्षित परियोजना क्षेत्र से 55 किशोरियां एवं 12 बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने भागीदारी लिया ।
  कार्यशाला में मुख्य रूप से सेहत/स्वास्थ्य क्या है ? हम स्वस्थ्य कैसे रहें ? स्वास्थ्य पर आसपास के वातावरण का प्रभाव? लडकियों/महिलाओं में कमजोरी के लक्षण क्या हैं ? बीमार होने के क्या लक्षण हैं ? कमजोरी और बीमारी से बचाव के लिए क्या करना चाहिए ? लडकियों/महिलाओं का जीवन चक्र ? लडकियों में मासिक चक्र और स्वच्छता ? आदि विषयों पर बहुत ही  केन्द्रित चर्चा हुई | उपरोक्त बिन्दुओं पर आनन्द निषाद, मंगला प्रसाद, शोभनाथ, प्रतिमा पाण्डेय, संध्या एवं श्रुति नागवंशी द्वारा कार्यशाला में शामिल किशोरियों के साथ सहजकर्ता के रूप में प्रक्रिया चलाई गयी | सत्र के प्रारम्भ में किशोरियों के स्वागत के साथ प्रतिमा पाण्डेय जी द्वारा परिवर्तन गीत “अभई बेटी के पढ़ाई सखी, ना करबे विदाई हो” गाया गया | एक दिवसीय कार्याशाला के उद्देश्य को साझा करते हुए उन्हें परिप्रेक्ष्य देने का प्रयास किया गया कि समाज में महिलाओं की स्थिति बहुत ही दोयम दर्जे की है, हालाँकि आज समाज के सोच विचार में काफी बदलाव आया है | लेकिन महिलाएं भी पित्रस्त्त्ताम्क सोच से प्रभावित हैं सो कई बार वे स्वयं अपने और अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाहीपूर्ण व्यवहार करती रहतीं हैं | जिसका उनकी सेहत पर खराब असर पड़ता है उनका शारीरिक एवं मानसिक विकास बहुत ही प्रभावित होता है |

 कार्यशाला में किशोरियों को लिंग विभेद को समझने के लिए किशोरियों को झाडू, साइकिल, हसिया, मटका, चूड़ी, हुक्का, कुदाल, घड़ी, रेडियो, लाठी, बंदूक, सिगरेट, पतीली आदि के चित्रों को दिखाकर उनका प्रयोग किस लिंग के द्वारा किया जाता है ? इस पर चर्चा चला गया, इसके जवाब में कार्यशाला में शामिल अधिकांश प्रतिभागियों द्वारा प्रचलित मान्यतानुसार जवाब आये लेकिन वन्ही कुछ प्रतिभागी जो मिडिया और संचार संसाधनो के नजदीक रही, किशोरियों के जवाब बदलते परिवेश के अनुसार आए | जैसे- पतीली और उसके प्रयोग खाना बनाने के मामले पर मान्यतानुसार जवाब आया कि आज भी  खाना ज्यादातर महिला ही बनातीं हैं, लेकिन जब घर में महिला नही होती है तो छोटी लड़कियों से बनवाया जाता है, जबकि  होटल, शादी व्याह में पुरुष ही खाना बनाते है ।
कार्यशाला को सहज तरीके से चलाते हुए इस सत्र में भी कार्यकर्ता द्वारा किशोरियों से सवाल पूछे गये जैसे --स्वास्थ्य या सेहत क्या है ? इस प्रश्न के सन्दर्भ में जवाब आया कि -- शरीर में कोई रोग न होना,  वजन ठीक होना,  देखने में चंचल व खुश रहना ही सेहत है प्रशिक्षक द्वारा यह चर्चा चलाया गया कि क्या शारीरिक रूप से स्वस्थ होना काफी है अथवा व्यक्ति को मानसिक रूप से भी स्वस्थ होना चाहिए जिस पर काफी चर्चा के बाद किशोरियों ने शारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य के महत्व को समझा | पुनः किशोरियों से सवाल किया गया कि हम स्वस्थ कैसे रहें या स्वस्थ रहने के लिए क्या करना चाहिए ? इस सवाल के सन्दर्भ में किशोरियों जो अच्छे स्वास्थ्य के विषय में जानकारी रखतीं थी उनके विचार कुछ इस प्रकार सामने आए कि  -- खाना समय से खाएं, व्यायाम करें, खाना में पोषक तत्व - खनिज लवण व प्रोटीनयुक्त हो, जीवन रक्षक टीके समय से लगे हों, शुद्ध पेयजल और हवा का प्रयोग हो, घर के साथ आस-पास की भी साफ-सफाई होनी चाहिए, शौच के बाद और खाना खाने के पहले साबुन से हाथ जरुर धोयें, बाल और दातों और कपड़ों की सफाई का ध्यान रखना, खुला - बासी खाना न खायें, कम तेल मसालों का प्रयोग हो, आदि विभिन्न बातें जो अच्छे सेहत के लिए ध्यान रखी जानी चाहिए | सहजकर्ता कार्यकर्ता द्वारा किशोरियों द्वारा दिए जवाब को कई बार पढकर दोहराते हुए उन बिन्दुओं पर चर्चा कराया गया, जिससे वे किशोरियां जो इस विषय के सन्दर्भ में कम जानती हों या न जानती हों उन्हें भी इस सन्दर्भ में सहज तरीके से जानकारी हो सके |
अगले क्रम में स्वास्थ्य पर आसपास के वातावरण का क्या प्रभाव है ? इस सन्दर्भ में कुछ किशोरियों के जवाब आए जो इस प्रकार हैं – शुद्ध हवा, भूगर्भ जल- तालाब, कुआँ का पानी, ध्वनि प्रदुषण, कल - कारखानों का धुँआ, घर के आसपास का जल जमाव, मरे हुए पशुओं को खुले स्थान पर नदी, पोखरे, तालाब में फेंक देना, मच्छरदानी का प्रयोग न करना अत्यधिक खतरा रहता है जिससे व्यक्ति के स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है |  लडकियों या महिलाओं में कमजोर होने के क्या-क्या लक्षण दिखाई देते है ? इस सन्दर्भ में कुछ किशोरियों ने अपने अनुभव के आधार पर बताया कि, चक्कर आना, चलने पर कमजोरी थकान महसूस होना, मासिक धर्म आने पर आँख से कम दिखाई देना, शरीर में दर्द व सूजन । इसी तरह बीमार होने के लक्षण के बारे में प्रतिभागियों से जानकारी ली गयी। प्रशिक्षक  द्वारा बताया गया कि हर इन्सान की क्षमता एक जैसी नही होती कुछ लोग कमजोर होने पर जल्दी बीमार पड़ जाते कुछ लोग कमजोर महसूह करने पर खान पान से ठीक हो जाते है । प्रतिभातियों ने कहा कि हम लड़कियों के खान-पान पर घर के लोग ध्यान नही देते पुरुषों को दूध, अण्डा, मछली सन्तुलित आहार मिलता है। लेकिन हम लोगों को नही मिलता जिससे कि हम लोग भी घर का सारा काम करते है । कमजोरी व बिमारी के बचाव हेतू प्रशिक्षक द्वारा सन्तुलित आहार व पौष्टिक खाद्य पदार्थ के बारे में बताया गया | प्रशिक्षक द्वारा पुनः पूछा गया कि क्या शरीर व दिमाग दोनों का स्वस्थ रहना जरुरी है। प्रतिभागियों के तरफ से जवाब आया कि जब दिमाग स्वस्थ नहीं होगा तो शरीर स्वस्थ नही होगा ।
प्रशिक्षक प्रतिमा पाण्डेय द्वारा महिलाओं के जीवन चक्र को चित्र के माध्यम से समझाते हुए चर्चा किया गया और बताया गया कि लडकी के रूप में जन्म के बाद जो कभी स्वयं शिशु होती है वही लडकी उम्र के विभिन्न चरणों से गुजरते हुए स्वयं शिशु को जन्म देने की ताकत रखती है | अत: किशोरियों और महिलाओं को अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए | मासिक चक्र के विषय पर भी काफी खुलकर किशोरियों से चर्चा किया गया जिसमें किशोरियों से मासिक के समय किस प्रकार के कपड़े या पैड का प्रयोग करना चाहिए, कपड़ो एवं स्वयं की स्वच्छता का ध्यान किस प्रकार रखा जाए | मासिक के समय किन-किन मुख्य बातों को ध्यान में रखना चाहिए यह जानकारी प्रशिक्षण द्वारा दी गयी ।
स्वास्थ्य एवं स्वच्छता विषय पर परिप्रेक्ष्य निर्माण के बाद गाँव स्तर पर कुल 6 ग्रुप बनाया गया | सभी ग्रुप को दो प्रश्न 1. आज के कार्यशाला में कौन सी बात अच्छी लगी और कौन सी बात अच्छी नहीं लगी ? 2. इस कार्यशाला में प्राप्त जानकारी का उपयोग आप सब कैसे करेंगी ? आपस में चर्चा के लिए दिया गया जिस पर 15 मिनट में आपस में चर्चा करने के बाद ग्रुप के एक साथी द्वारा अपने ग्रुप के विचारों को साझा किया गया |
सर्वप्रथम किशोरियों के सभी ग्रुप ने उन्हें कार्यशाला में क्या अच्छा लगा इस सन्दर्भ में अपने विचार साझा किया कि उन्हें महिला के जीवन चक्र के सन्दर्भ में पहली बार जानकारी मिली जो बहुत ही रोचक रहा उन्होंने कहाकि आज से पूर्व वह स्त्रियों की इस विशेष योग्यता के सन्दर्भ में कुछ नही जानती थीं | वह यह तो जानती हैं कि बच्चा स्त्रियों को ही पैदा होता है, लेकिन एक जीव को जन्म देने की शक्ति के दृष्टिकोण से उन्होंने कभी सोचा नही था | दूसरा उन्हें मासिक चक्र के सन्दर्भ में खुलकर चर्चा हुई जो उन्हें काफी अच्छा लगा कि क्योंकि इससे पूर्व कभी इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नही मिली थी | इस विषय में घर में भी कोई बात खुलकर नही हो पाता क्योंकि सभी बड़ी उम्र की महिलाएं इस सन्दर्भ में काफी संकोच से बात करती हैं या बात करने से कतराती हैं | साफ सफाई रखनी चाहिए इस सन्दर्भ में भी हमें कोई जानकारी नही मिल पाता है |  कुछ किशोरियों को लैंगिक विभेद पर हुई चर्चा बहुत अच्छी लगा बताया |  
इस सवाल पर कि उन्हें क्या अच्छा नही लगा 5 ग्रुप ने कहाकि उन्हें यंहा ऐसा कुछ भी नही है जो अच्छा ना लगा हो, केवल एक ग्रुप ने कहाकि उन्हें कार्यशाला के दौरान कुछ लडकियाँ आपस में बात करने लगती थी, यह बात बिल्कुल ठीक नही लगी जबकि वे सत्र से सम्बन्धित विषय पर ही आपस में बातचीत कर रहीं थी लेकिन उन्हें आपस में बातचीत न करके सत्र में हो रही चर्चा को ध्यान से सुनना चाहिए क्योंकि यंहा जो भी बातचीत हो रही थी उन विषयों पर हमसे पहले कभी किसी ने खुलकर बात नही किया | यंहा की सभी जानकारियाँ बहुत ज्ञानवर्धक और रोचक रही, हम आगे भी इस सन्दर्भ में जानकारियां चाहते हैं |
1. कुड़ें कचरे को गढ्ढे में डालने के लिए अभियान चलाया जाएगा ।
2. गाँव में साफ-सफाई किया जायेगा।
3. बाल पंचायत के साथ स्वास्थ्य एवं व्यक्तिगत स्वच्छता के मुद्दे पर चर्चा करेगें।
4. स्वाच्छता पर गाँव में चर्चा व जागरुक किया जायेगा।
5. बिमारी से बचाव के लिए उपाय को बतायेगें।
6. टीकाकरण कराने के लिए सबको प्रेरित करेंगे।
7. जल, वायु एवं भूमि प्रदुषण पर जो जानकरी मिली उसके अनुसार प्रदुषण की पहचान करते हुए प्रदुषण रोकने के प्रयास करना |
8. बारिश का पानी कंही भी इकठ्ठा नही होने देंगे उसके निस्तारण के लिए सामूहिक प्रयास करेंगे |
9. किशोरियों को आयरन की गोली और टिटनेस की सुई लगवाने के लिए आशा और एनम बहनजी से बात करेंगे |

इस एक दिवसीय कार्यशाला में किशोरियों के परिप्रेक्ष्य निर्माण के साथ कार्यशाला का समापन हुआ अंत में शोभनाथ जी द्वारा धन्यवाद दिया गया |