Thursday 27 August 2015

किशोरी स्वास्थ्य एवं स्वच्छता

       किशोरी स्वास्थ्य एवं स्वच्छता विषयक एक दिवशीय कार्यशाला

                           6 जुलाई 2015, राजा सुहैल देव जनमित्र केन्द्र बघवानाला, वाराणसी                             

जनमित्र न्यास / मानवाधिकार जननिगरानी समिति और चाईल्ड राइट्स एंड यू के सहयोग द्वारा राजा सुहेल देव जनमित्र शिक्षण केन्द्र बधवानाला वाराणसी में “किशोरी स्वास्थ्य एवं स्वच्छता” विषयक एक दिवसीय कार्यशाला 06 जुलाई, 2015 को आयोजित किया गया जिसमें लक्षित परियोजना क्षेत्र से 55 किशोरियां एवं 12 बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने भागीदारी लिया ।
  कार्यशाला में मुख्य रूप से सेहत/स्वास्थ्य क्या है ? हम स्वस्थ्य कैसे रहें ? स्वास्थ्य पर आसपास के वातावरण का प्रभाव? लडकियों/महिलाओं में कमजोरी के लक्षण क्या हैं ? बीमार होने के क्या लक्षण हैं ? कमजोरी और बीमारी से बचाव के लिए क्या करना चाहिए ? लडकियों/महिलाओं का जीवन चक्र ? लडकियों में मासिक चक्र और स्वच्छता ? आदि विषयों पर बहुत ही  केन्द्रित चर्चा हुई | उपरोक्त बिन्दुओं पर आनन्द निषाद, मंगला प्रसाद, शोभनाथ, प्रतिमा पाण्डेय, संध्या एवं श्रुति नागवंशी द्वारा कार्यशाला में शामिल किशोरियों के साथ सहजकर्ता के रूप में प्रक्रिया चलाई गयी | सत्र के प्रारम्भ में किशोरियों के स्वागत के साथ प्रतिमा पाण्डेय जी द्वारा परिवर्तन गीत “अभई बेटी के पढ़ाई सखी, ना करबे विदाई हो” गाया गया | एक दिवसीय कार्याशाला के उद्देश्य को साझा करते हुए उन्हें परिप्रेक्ष्य देने का प्रयास किया गया कि समाज में महिलाओं की स्थिति बहुत ही दोयम दर्जे की है, हालाँकि आज समाज के सोच विचार में काफी बदलाव आया है | लेकिन महिलाएं भी पित्रस्त्त्ताम्क सोच से प्रभावित हैं सो कई बार वे स्वयं अपने और अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाहीपूर्ण व्यवहार करती रहतीं हैं | जिसका उनकी सेहत पर खराब असर पड़ता है उनका शारीरिक एवं मानसिक विकास बहुत ही प्रभावित होता है |

 कार्यशाला में किशोरियों को लिंग विभेद को समझने के लिए किशोरियों को झाडू, साइकिल, हसिया, मटका, चूड़ी, हुक्का, कुदाल, घड़ी, रेडियो, लाठी, बंदूक, सिगरेट, पतीली आदि के चित्रों को दिखाकर उनका प्रयोग किस लिंग के द्वारा किया जाता है ? इस पर चर्चा चला गया, इसके जवाब में कार्यशाला में शामिल अधिकांश प्रतिभागियों द्वारा प्रचलित मान्यतानुसार जवाब आये लेकिन वन्ही कुछ प्रतिभागी जो मिडिया और संचार संसाधनो के नजदीक रही, किशोरियों के जवाब बदलते परिवेश के अनुसार आए | जैसे- पतीली और उसके प्रयोग खाना बनाने के मामले पर मान्यतानुसार जवाब आया कि आज भी  खाना ज्यादातर महिला ही बनातीं हैं, लेकिन जब घर में महिला नही होती है तो छोटी लड़कियों से बनवाया जाता है, जबकि  होटल, शादी व्याह में पुरुष ही खाना बनाते है ।
कार्यशाला को सहज तरीके से चलाते हुए इस सत्र में भी कार्यकर्ता द्वारा किशोरियों से सवाल पूछे गये जैसे --स्वास्थ्य या सेहत क्या है ? इस प्रश्न के सन्दर्भ में जवाब आया कि -- शरीर में कोई रोग न होना,  वजन ठीक होना,  देखने में चंचल व खुश रहना ही सेहत है प्रशिक्षक द्वारा यह चर्चा चलाया गया कि क्या शारीरिक रूप से स्वस्थ होना काफी है अथवा व्यक्ति को मानसिक रूप से भी स्वस्थ होना चाहिए जिस पर काफी चर्चा के बाद किशोरियों ने शारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य के महत्व को समझा | पुनः किशोरियों से सवाल किया गया कि हम स्वस्थ कैसे रहें या स्वस्थ रहने के लिए क्या करना चाहिए ? इस सवाल के सन्दर्भ में किशोरियों जो अच्छे स्वास्थ्य के विषय में जानकारी रखतीं थी उनके विचार कुछ इस प्रकार सामने आए कि  -- खाना समय से खाएं, व्यायाम करें, खाना में पोषक तत्व - खनिज लवण व प्रोटीनयुक्त हो, जीवन रक्षक टीके समय से लगे हों, शुद्ध पेयजल और हवा का प्रयोग हो, घर के साथ आस-पास की भी साफ-सफाई होनी चाहिए, शौच के बाद और खाना खाने के पहले साबुन से हाथ जरुर धोयें, बाल और दातों और कपड़ों की सफाई का ध्यान रखना, खुला - बासी खाना न खायें, कम तेल मसालों का प्रयोग हो, आदि विभिन्न बातें जो अच्छे सेहत के लिए ध्यान रखी जानी चाहिए | सहजकर्ता कार्यकर्ता द्वारा किशोरियों द्वारा दिए जवाब को कई बार पढकर दोहराते हुए उन बिन्दुओं पर चर्चा कराया गया, जिससे वे किशोरियां जो इस विषय के सन्दर्भ में कम जानती हों या न जानती हों उन्हें भी इस सन्दर्भ में सहज तरीके से जानकारी हो सके |
अगले क्रम में स्वास्थ्य पर आसपास के वातावरण का क्या प्रभाव है ? इस सन्दर्भ में कुछ किशोरियों के जवाब आए जो इस प्रकार हैं – शुद्ध हवा, भूगर्भ जल- तालाब, कुआँ का पानी, ध्वनि प्रदुषण, कल - कारखानों का धुँआ, घर के आसपास का जल जमाव, मरे हुए पशुओं को खुले स्थान पर नदी, पोखरे, तालाब में फेंक देना, मच्छरदानी का प्रयोग न करना अत्यधिक खतरा रहता है जिससे व्यक्ति के स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है |  लडकियों या महिलाओं में कमजोर होने के क्या-क्या लक्षण दिखाई देते है ? इस सन्दर्भ में कुछ किशोरियों ने अपने अनुभव के आधार पर बताया कि, चक्कर आना, चलने पर कमजोरी थकान महसूस होना, मासिक धर्म आने पर आँख से कम दिखाई देना, शरीर में दर्द व सूजन । इसी तरह बीमार होने के लक्षण के बारे में प्रतिभागियों से जानकारी ली गयी। प्रशिक्षक  द्वारा बताया गया कि हर इन्सान की क्षमता एक जैसी नही होती कुछ लोग कमजोर होने पर जल्दी बीमार पड़ जाते कुछ लोग कमजोर महसूह करने पर खान पान से ठीक हो जाते है । प्रतिभातियों ने कहा कि हम लड़कियों के खान-पान पर घर के लोग ध्यान नही देते पुरुषों को दूध, अण्डा, मछली सन्तुलित आहार मिलता है। लेकिन हम लोगों को नही मिलता जिससे कि हम लोग भी घर का सारा काम करते है । कमजोरी व बिमारी के बचाव हेतू प्रशिक्षक द्वारा सन्तुलित आहार व पौष्टिक खाद्य पदार्थ के बारे में बताया गया | प्रशिक्षक द्वारा पुनः पूछा गया कि क्या शरीर व दिमाग दोनों का स्वस्थ रहना जरुरी है। प्रतिभागियों के तरफ से जवाब आया कि जब दिमाग स्वस्थ नहीं होगा तो शरीर स्वस्थ नही होगा ।
प्रशिक्षक प्रतिमा पाण्डेय द्वारा महिलाओं के जीवन चक्र को चित्र के माध्यम से समझाते हुए चर्चा किया गया और बताया गया कि लडकी के रूप में जन्म के बाद जो कभी स्वयं शिशु होती है वही लडकी उम्र के विभिन्न चरणों से गुजरते हुए स्वयं शिशु को जन्म देने की ताकत रखती है | अत: किशोरियों और महिलाओं को अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए | मासिक चक्र के विषय पर भी काफी खुलकर किशोरियों से चर्चा किया गया जिसमें किशोरियों से मासिक के समय किस प्रकार के कपड़े या पैड का प्रयोग करना चाहिए, कपड़ो एवं स्वयं की स्वच्छता का ध्यान किस प्रकार रखा जाए | मासिक के समय किन-किन मुख्य बातों को ध्यान में रखना चाहिए यह जानकारी प्रशिक्षण द्वारा दी गयी ।
स्वास्थ्य एवं स्वच्छता विषय पर परिप्रेक्ष्य निर्माण के बाद गाँव स्तर पर कुल 6 ग्रुप बनाया गया | सभी ग्रुप को दो प्रश्न 1. आज के कार्यशाला में कौन सी बात अच्छी लगी और कौन सी बात अच्छी नहीं लगी ? 2. इस कार्यशाला में प्राप्त जानकारी का उपयोग आप सब कैसे करेंगी ? आपस में चर्चा के लिए दिया गया जिस पर 15 मिनट में आपस में चर्चा करने के बाद ग्रुप के एक साथी द्वारा अपने ग्रुप के विचारों को साझा किया गया |
सर्वप्रथम किशोरियों के सभी ग्रुप ने उन्हें कार्यशाला में क्या अच्छा लगा इस सन्दर्भ में अपने विचार साझा किया कि उन्हें महिला के जीवन चक्र के सन्दर्भ में पहली बार जानकारी मिली जो बहुत ही रोचक रहा उन्होंने कहाकि आज से पूर्व वह स्त्रियों की इस विशेष योग्यता के सन्दर्भ में कुछ नही जानती थीं | वह यह तो जानती हैं कि बच्चा स्त्रियों को ही पैदा होता है, लेकिन एक जीव को जन्म देने की शक्ति के दृष्टिकोण से उन्होंने कभी सोचा नही था | दूसरा उन्हें मासिक चक्र के सन्दर्भ में खुलकर चर्चा हुई जो उन्हें काफी अच्छा लगा कि क्योंकि इससे पूर्व कभी इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नही मिली थी | इस विषय में घर में भी कोई बात खुलकर नही हो पाता क्योंकि सभी बड़ी उम्र की महिलाएं इस सन्दर्भ में काफी संकोच से बात करती हैं या बात करने से कतराती हैं | साफ सफाई रखनी चाहिए इस सन्दर्भ में भी हमें कोई जानकारी नही मिल पाता है |  कुछ किशोरियों को लैंगिक विभेद पर हुई चर्चा बहुत अच्छी लगा बताया |  
इस सवाल पर कि उन्हें क्या अच्छा नही लगा 5 ग्रुप ने कहाकि उन्हें यंहा ऐसा कुछ भी नही है जो अच्छा ना लगा हो, केवल एक ग्रुप ने कहाकि उन्हें कार्यशाला के दौरान कुछ लडकियाँ आपस में बात करने लगती थी, यह बात बिल्कुल ठीक नही लगी जबकि वे सत्र से सम्बन्धित विषय पर ही आपस में बातचीत कर रहीं थी लेकिन उन्हें आपस में बातचीत न करके सत्र में हो रही चर्चा को ध्यान से सुनना चाहिए क्योंकि यंहा जो भी बातचीत हो रही थी उन विषयों पर हमसे पहले कभी किसी ने खुलकर बात नही किया | यंहा की सभी जानकारियाँ बहुत ज्ञानवर्धक और रोचक रही, हम आगे भी इस सन्दर्भ में जानकारियां चाहते हैं |
1. कुड़ें कचरे को गढ्ढे में डालने के लिए अभियान चलाया जाएगा ।
2. गाँव में साफ-सफाई किया जायेगा।
3. बाल पंचायत के साथ स्वास्थ्य एवं व्यक्तिगत स्वच्छता के मुद्दे पर चर्चा करेगें।
4. स्वाच्छता पर गाँव में चर्चा व जागरुक किया जायेगा।
5. बिमारी से बचाव के लिए उपाय को बतायेगें।
6. टीकाकरण कराने के लिए सबको प्रेरित करेंगे।
7. जल, वायु एवं भूमि प्रदुषण पर जो जानकरी मिली उसके अनुसार प्रदुषण की पहचान करते हुए प्रदुषण रोकने के प्रयास करना |
8. बारिश का पानी कंही भी इकठ्ठा नही होने देंगे उसके निस्तारण के लिए सामूहिक प्रयास करेंगे |
9. किशोरियों को आयरन की गोली और टिटनेस की सुई लगवाने के लिए आशा और एनम बहनजी से बात करेंगे |

इस एक दिवसीय कार्यशाला में किशोरियों के परिप्रेक्ष्य निर्माण के साथ कार्यशाला का समापन हुआ अंत में शोभनाथ जी द्वारा धन्यवाद दिया गया |