Saturday 29 September 2018
Wednesday 19 September 2018
Wednesday 5 September 2018
Tuesday 4 September 2018
स्तनपान की सफल कहानी
नवजात शिशु का नाम - काजल
लिंग - F
जन्म तिथि 28 दिसम्बर 2017
माता का नाम - रिमा
पिता का नाम - लोरिफ बनवासी
जाति – अनुसूचित
जाति
उप जाति - मुसहर
पता
ग्राम - अनेई
टोला - मुसहर
बस्ती
ग्राम पंचायत - अनेई
विकास खंड - बड़ागांव
जनपद – वाराणसी ।
प्रसूता रीमा का प्रसव 28 दिसंबर 2017 को
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़ागांव वाराणसी हुआ जन्म के समय शिशु का वजन 3 किग्रा
था शिशु को प्रसूता द्वारा सास गंगाजली व स्टाफ नर्स के सहयोग से शिशु को जन्म के तुरन्त बाद
कोलेस्ट्रम पिलाया गया । वही प्रसूता रीमा एंबुलेंस 102 से प्रसव कराने गई
और एंबुलेंस 102 से घर वापस जिनको कार्यकर्ताओं द्वारा गर्भावस्था के दौरान सही
खान-पान सहित नवजात शिशु को संस्थागत प्रसव व कोलेस्ट्रम पिलाने सहित छः माह तक किसी को सिर्फ
स्तनपान कराने व टीकाकरण के संदर्भ में जानकारी दिया जा रहा था । प्रसव होने के बाद रीमा पहले की तरह पूर्ण रूप
से घर का काम नहीं कर पा रही थी वही ससुर मुन्ना बनवासी द्वारा काम करने का दबाव
रीमा के पति लोरिफ पर लगातार बना रहे थे की तुम्हारी पत्नी रीमा काम नहीं करती क्या बच्चा सिर्फ उसी को पैदा हुआ है और किसी को
बच्चा कभी नहीं पैदा हुआ था जिसके बाद प्रसूता की सास गंगाजली द्वारा घरेलू काम करने, पेड़ से लकड़ी तोड़ कर लाने, को लेकर रीमा व लोरिफ बनवासी फिर झगड़ा कीच-कीच करती रहती थी । वही लोरिफ द्वारा पत्नी रीमा पर लगातार यह दबाव रहता था कि नवजात शिशु को देख
रेख पूर्ण रुप से करो परिवार
के किसी सदस्यों की बातों पर ध्यान मत दो । जिसके
बाद प्रसूता के ससुर मुन्ना बनवासी
द्वारा लोरिफ को परिवार से अलग कर दिया
गया इसके बाद लोरिफ दिहाड़ी मजदूरी का काम
कर परिवार का खर्चा चलता है । उपरोक्त
परिवार में वर्तमान समय में किसी प्रकार का कोई राशन कार्ड भी नहीं है दादा के नाम
से बना जर्जर आवास में लोरिफ अपने परिवार के साथ रहता है मेहनत मजदूरी का काम
स्वयं करता है वही पत्नी रिमा को अपने साथ काम करने का कोई दबाव नहीं बनाते पत्नी रीमा को नवजात शिशु
काजल का देख-रेख करती है रिमा ने काजल को 6 महीने तक
सिर्फ अपना दूध पिलाया है ।
डब्लूएचओ मानक अनुसार नवजात शिशु आकाश का पोषण मैपिंग ।
वजन तिथि
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वजन
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उम्र
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पोषण ग्रेड
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28/12/2017
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3.000 किग्रा
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जन्मके समय
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सामान्य
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05/4/2018
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5.600 किग्रा
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3 माह
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सामान्य
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05/7/2018
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6.900 किग्रा
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6 माह
|
सामान्य
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स्तनपान की सफल कहानी
नवजात शिशु का नाम - आकाश
लिंग -
M
जन्म तिथि 06 जनवरी 2018
माता का नाम - सरिता
पिता का नाम - महेंद्र बनवासी
जाति – अनुसूचित जाति
उप जाति - मुसहर
पता
ग्राम - अनेई
टोला - मुसहर बस्ती
ग्राम पंचायत - अनेई
विकास खंड - बड़ागांव
जनपद – वाराणसी ।
नवजात शिशु का 1 फरवरी 2018 को समय लगभग शाम 07:00 बजे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़ागांव वाराणसी में जन्म हुआ । जन्म के समय नवजात शिशु का वजन मात्र 1 किलो 500 ग्राम था वही जन्म के बाद आकाश बेहोशी की हालत में था जिसके बाद स्टाफ नर्स द्वारा कंगारू थेरेपी दिया गया जिसके लगभग आधे घंटे बाद आकाश को होश आया तब रोना शुरु किया । जिसके बाद आकाश की दादी शकुंतला देवी द्वारा क्षेत्रीय आशा मनोरमा सिंह के सहयोग से नवजात शिशु को कोलेस्ट्रम माता सरिता द्वारा पिलाया गया । इसी बीच स्टाफ नर्स का रात लगभग 8:00 बजे ड्यूटी का शिफ्ट बदल गया उपरोक्त स्टाफ नर्स द्वारा किसी प्रकार का नवजात शिशु को रेफरल नहीं किया गया रात लगभग 12:00 बजे उपरोक्त पीएचसी में कार्यरत दाई सरोजा सिंह द्वारा प्राइवेट हॉस्पिटल में मौखिक रूप से नवजात शिशु को भर्ती कराने को नवजात शिशु की दादी शकुंतला को सलाह दिया गया जिस पर शकुंतला द्वारा उपरोक्त दाई से पूछा गया कि हमारे जन्में पोते को किसी प्रकार का बीमारी तो नहीं है तो दाई सरोजा सिंह द्वारा बताया गया कि नहीं तुम्हारे पोते को किसी प्रकार का बीमारी नहीं है वह वजन के अनुसार बहुत कमजोर है यही दिक्कत है जिसके बाद नवजात शिशु की दादी शकुंतला चुपचाप दाई सरोजा की बात को अनसुना कर दी सुबह लगभग 10:00 बजे स्टाफ नर्स द्वारा एंबुलेंस 102 से नवजात शिशु सहित प्रसूता सरिता को वापस घर भेज दिया गया ।
इसके बाद उपरोक्त जनवरी में
कड़ाके की ठंड चल रही थी उपरोक्त ठंड में शकुंतला देवी अपनी बहू सरिता को ठंड से
बचने व नवजात शिशु को हर समय छुपाकर रखने का सलाह देती रही जब सरिता थोड़ा भी अनसुना करती थी तो सांस शकुंतला
द्वारा स्वयं बच्चे को ढककर रखती थी हर समय बच्चा
या तो मां की या तो दादी की शरीर से लगा रहता था जन्मे शिशु को तेल से मालिश स्वयं दादी शकुंतला
करती थी और कभी कभी बहु सरिता शिशु का तेल मालिश करती थी और जब जब बच्चा दूध
पीने का हरक्क्त करता तो प्रसूता सरिता शिशु को अपना दूध पिलाती थी वही हर समय साये की तरह बहू सरिता और शिशु पर दादी शकुंतला बहुत ध्यान देती है और हर
समय निगरानी करती रहती थी कि शिशु दूध पिया है कि नहीं शिशु का मालिक होने का समय
हो गया मालिश करना इस तरह की तमाम गतिविधियाँ करती रही कार्यकर्ता द्वारा प्रसूता
सरिता देवी वर्षा शकुंतला को समय समय पर जानकारी दिया जाता है । उपरोक्त परिवार
में नवजात शिशु के दादा विश्वनाथ उर्फ बिल्ला मुसहर अपने स्वयं ठाकुर के घर मजदूरी
करते है लेकिन कभी भी घर की महिलाओं को काम का दबाव नहीं बनाते । उसी तरह सरिता की
सास शकुंतला भी बस्ती में हो रहे सास बहू के झगड़े को देखते हुए जब किसी को समझाने
गई तो उनको लोग कहते थे कि चलो तुम्हारी बहू आएगी तो हम लोग देखेंगे जिसके बाद कोई
शकुंतला द्वारा जवाब दिया जाता था कि जब हमारी बहू आएगी तो देखना । अपने बहू के हिस्से
का काम अपनी किशोरावस्था की बेटी को लेकर स्वयं करती थी बेटी का विवाह हो गया वह अपने ससुराल चली
गई अभी भी घर का अधिकतर कार्य स्वयं सास शकुंतला करती है
बहू सरिता को कहती है कि कोई काम मत करो सिर्फ सिर्फ बच्चे का देखरेख व उसे दूध
पिलाओ और कोई काम करने की जरूरत नहीं है सब काम हम करेंगे । नवजात शिशु का नियमित
देखभाल से धीरे धीरे स्वास्थ्य में सुधार होने लगा पहले महीने कुछ सुधार हुआ लेकिन
जिसमें आकाश गंभीर की श्रेणी में ही रहा दूसरे महीने आकाश आंशिक की श्रेणी में आया
और तीसरे आकाश स्वस्थ हो गया और छह महीना तक सिर्फ अपनी मां का स्तनपान किया है ।
डब्लूएचओ मानक अनुसार नवजात शिशु आकाश
का पोषण मैपिंग ।
वजन तिथि
|
वजन
|
उम्र
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पोषण ग्रेड
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06/01/2018
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1.500 किग्रा
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जन्मके समय
|
गंभीर कुपोषित
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03/2/2018
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2.700 किग्रा
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1 माह
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गंभीर कुपोषित
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10/3/2018
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4.100 किग्रा
|
2 माह
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आंशिक कुपोषित
|
05/4/2018
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5.100 किग्रा
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3 माह
|
सामान्य
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05/7/2018
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6.700 किग्रा
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6 माह
|
सामान्य
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नवजात शिशु देखभाल
गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल क्षमतावृद्धि
कार्यशाला ।
दिनांक 30 अप्रैल से 02 मई 2018 तक ।
स्थल :- पीवीसीएचआर कार्यालय बघवानाला
वाराणसी ।
सर्वप्रथम परिचय सत्र चला जिसमें ट्रेनर
सहीत कार्यशाला में भाग लेने वाले जेएमएन कार्यकर्ताओं द्वारा अपने कार्य के अनुभव
सही कार्य क्षेत्र को लेकर कार्य करने के विषय पर परिचय हुआ तथा कार्यशाला के
उद्देश्य को लेकर कार्यशाला में भाग लेने वाले
जेएमएन कार्यकर्ताओं से जानकारी लिया गया वही उपरोक्त कार्यशाला में सीखने
की अपेक्षा को लेकर सर्वप्रथम प्री टेस्ट लिया गया । तथा ट्रेनर द्वारा उपरोक्त
प्री टेस्ट के अध्ययन के बाद कार्यशाला
में भाग लेने वाले सभी कार्यकर्ता को प्राथमिक स्तर की सभी जानकारियां है इसके आगे
जानकारी दिया जाएगा ।
इसके बाद किशोरियों की उम्र को लेकर डब्ल्यूएचओ मानक में जानकारी लिया गया
जिसमें कार्यकर्ताओं द्वारा बताया गया कि डब्ल्यूएचओ के मानक अनुसार किशोरियों का
उम्र 10 से 19 साल के बीच होता है । जिसके बाद नवजात शिशु एवं पूर्व नवजात शिशु के
दिनों के विषय में जानकारी लिया गया जिसमें कार्यकर्ता द्वारा बताया गया कि नवजात
शिशु 28 दिन व पूर्व नवजात शिशु 1 सप्ताह का होता है । जिसके बाद नवजात शिशु पूर्व
नवजात शिशु की मृत्यु आंकड़ों को ग्राफ के माध्यम से जानकारी दिया गया कि नवजात
शिशु 28 दिन का है जिसका 50% नवजात शिशु
का मृत्यु 48 घंटे के अंदर होता है । इसी प्रकार शिशु मृत्यु को घंटे से लेकर दिन, सप्ताह, महीनों
तक के आंकड़ों को ग्राफ के माध्यम से जानकारी दिया गया । और नवजात के खतरे के
लक्षण को बताया गया जिस के बचाव को लेकर भी निम्न जानकारियां दिया गया कि गोल्डन डे मां के गर्भ में
बच्चा आने से लेकर बच्चे के जन्म के 2 वर्ष तक कुल 1000 दिन को गोल्डेन डे कहा जाता है यदि
मां के पेट में गर्भ आने से नवजात शिशु के जन्म
के 48 घंटे तक नियमित मानक
अनुसार मां सहित जन्मे बच्चे
को सभी सेवाएं मिल जाए तो 50% नवजात शिशु मृत्यु को कम किया जा सकता है ।
मां के पेट में गर्भ आने के बाद गर्भवती
का गर्भ परीक्षण यूरिन टेस्ट हो कि महिला गर्भवती है या नहीं गर्भ की जानकारी
मिलने के बाद गर्भवती का पंजीकरण होकर
एमसीपी कार्ड मीले उसके बाद बीपी,
एनीमिया, ब्लड सुगर, एचआईवी, ब्लड ग्रुप, वजन, के परीक्षण के बाद टीटी का टीका व
आयरन फोलिक एसिड की 180 गोली का सेवन 20 सप्ताह के अंदर करें, यदि एनिमिक गर्भवती
हो तो वह 360 गोली का सेवन करें, यदि HRP गर्भवती हो तो डॉक्टर के सलाह अनुसार आयरन का सेवन करें, व कैल्सियम
की गोली का सेवन करें, उपरोक्त अनुसार नियमित सभी जांचें हो तथा गर्भवती माता को
खान पान की सेवाएं सहित परिवार का प्यार व गर्भवती महिला को दिन में 2 घंटे व रात
में कम से कम 8 घंटे आराम ( सोये ) करें तथा पोषण युक्त समय-समय पर नियमित तिरंगा
थाली का भोजन मिलता रहे व गर्भवती साफ सफाई एवं स्वच्छता के साथ दो-दो घंटे पर जो
कुल मिलाकर पहले से एक चौथाई अधिक भोजन खाना
चाहिए (खाने की बार को बढ़ावे) नियमित भोजन खाती रहे जिससे गर्भवती का 3 माह
में न्यूनतम वजन 1-1 1/2 किग्रा बढ़े तथा 4-6वे माह तक 3 - 4 किग्रा वजन बढ़े तथा
7-9वे महीने में 5 - 7 किलो वजन बढ़े कुल मिलाकर 10-12 किग्रा वजन बढ़ना चाहिए
। तथा सुरक्षित संस्थागत प्रसव हो यदि
गर्भवती HRP हो तो
प्रसव पूर्व संपूर्ण तैयारियां जैसे ब्लड देने वाले देने वाले सदस्य, गर्भावस्था
की समस्त जाँच रिपोर्ट, प्राइवेट संसाधन का संपर्क नंबर, इमरजेंसी हेतु रुपए अपने
पास रखें तथा लेबल 3 हॉस्पिटल जहां आपरेशन से प्रसव होता हो व हॉस्पिटल में ब्लड
बैंक की सुविधा हो । तथा प्रसव होने के
बाद बच्चे की शरीर पर Meconium की हल्की साफ सफाई के तुरंत बाद जल्द से जल्द लगभग आधे घंटे के अंदर
शिशु को कोलेस्ट्रम पिलाने से माता का प्लेसेंटा डिलीवरी, यूट्रस का सिकुड़ना व
रक्त स्राव कम हो जाता है जिसे BUP (Bliding Utters Placenta) कहते हैं । शिशु मां के गर्भ में 37℃ के तापमान में रहता है जब वह मां के गर्भ
से जन्म लेता है तो तापमान अधिक या कम
रहता है जिस तापमान को बनाए रखने के लिए शिशु को KMC प्रसूता या परिवार का अन्य कोई सदस्य की
सेवाएं दे इस पर ख्याल न करने पर
हाइपोथर्मिया से बच्चे पीड़ित हो जाते हैं जिस के बचाव के लिए HBNC कार्यक्रम के तहत साफ सफाई से हाथ धोकर बच्चे का वजन लेना
तापमान नापना कंबल लपेटना स्वास्थ्य के संक्रमण को पहचानने हेतु सांसे गिनने से
उपरोक्त प्रक्रिया से हाइपोथर्मिया रोग से बचाया जा सकता है । नवजात के स्तनपान की
सही स्थिति पर चर्चा करते हुए बताया गया की शिशु का गाल फुला हो, नाक दबा न हो,
माता के स्तन का अरोएला का भाग शिशु के मुंह में हो शिशु को 8 से 10 मिनट तक
स्तनपान कराना चाहिए और वही बच्चा कम से कम 1 दिन में सात से आठ बार पेशाब करें तो
समझ लो कि बच्चा भरपेट दूध पी रहा है । नवजात के शरीर के hit loss न हो इसके लिए शिशु की सही तरीके से कपडे
में लपेटने की विधि को भी बताया गया। इसके बाद टीकाकरण ग्रोथ चार्ट के बारे में
बताया गया जिसमें टीकाकरण के प्रकार और कार्य पर चर्चा हुआ। इसके बाद आशा के नवजात के जन्म के बाद 42 दिन
में 6 और 7 विजिट की चर्चा और उसके पास सामग्री और कार्य / सेवाओं की चर्चा की
गयी। नवजात की देखभाल , पोषण, बीमारी का
ईलाज, और सम्पूर्ण टीकाकरण के माध्यम से नवजात /शिशु को जीवन रक्षण किया जा सकता
हैं बच्चे के पोषण के अभाव से संक्रमण पर NRC पर चर्चा करते हुए बताया गया की वहाँ पर
एक Nutrsiyn,
एक MBBS, एक MD dr. बाल चिकित्सक होते हैं जिनकी निगरानी में NRC चलता हैं। जिसमें JSY के माध्यम से खाना मिलता हैं 14 दिन एडमिट
रखते हैं। और उसके बाद 4 विजिट होती है बच्चे की स्तिस्थि में सुधार व् उपचार की
स्थितियों की जानकारी लिया जाता है ।
वही जन्मे शिशु को किसी प्रकार की बीमारी/
समस्या होने पर लेवल- 2 स्वास्थ्य केंद्र में NBCC व लेबल 3 के FRU CHC में NBCC व NBSU तथा महिला जिला चिकिसालय में NBCC व NBSU व SNCU की सेवाएं हो तथा NBCC के अंतर्गत डॉक्टर स्टाफ नर्स को NSSK के तहत पूर्ण रूप से ट्रेनिंग मिला हो व NBSU की सेवा देने हेतु मेडिकल ऑफिसर / बाल रोग विशेषज्ञ को F -IMNCI/ बच्चों की चिकित्सा हेतु बाल चिकित्सक का प्रशिक्षण मिला हो 1 नर्सिंग
स्टाफ Per
shift होंगी । कुल 4 नर्सिंग स्टाफ होंगे
जिन्हें भी F-IMNCI में प्रशिक्षण मिला हो। व SNCU सेवा देने हेतू 12-बेड हो जिसमें इकाई के लिए ( +4 बेड Step down area )में, जिसमें स्टाफ कार्यरत रहेंगे- स्टाफ
नर्स: 10 बाल रोग विशेषज्ञ / मेडिकल ऑफिसर SNCU में
प्रशिक्षित हो तथा 3-4 (बाल रोग विशेषज्ञ / मेडिकल ऑफिसर और नर्स को FBNC में
प्रशिक्षित हो सहायक कर्मचारी: 4, 1 लैब टैक्नीशियन ( पार्ट टाइम) और 1
डेटा एंट्री ऑपरेटर तथा सभी लेवल में क्या उपकरण हो जिसे चित्र के माध्यम से दिखाया
गया जैसे - BP apparatus with stethoscope, sterilized
intruments, radiant warmer, oxygen hood(neonatal), pediatric stethoscope etc. । तथा बीमार शिशु को नियमित मानक अनुसार
सेवाएं मिले तो अर्ली नवजात शिशु मृत्यु, नवजात
शिशु मृत्यु, बाल मृत्यु, मातृ मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है ।
IPHS
मानक
में स्वास्थ्य संस्थान की जनसंख्या आधारित ढांचा :- IPHS मानक अनुसार जिला चिकित्सालय 4 से 5 लाख
की जनसंख्या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 80000 से 120000 की जनसंख्या PHC 30000 जनसंख्या व उप स्वास्थ्य केंद्र
5000 की जनसंख्या पर बनना है , वही अतिरिक्त प्राथमिक
स्वास्थ्य केंद्र खोलने हेतु IPHS मानक में कहीं उसका जिक्र नहीं दिया गया है ।
राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम :- 0
से 5 वर्ष का कोई भी बच्चा गंभीर बीमारी से ग्रसित हो जाने पर मुख्य चिकित्सा
अधिकारी द्वारा रिफर पत्र लिखने के बाद मेडिकल कालेज में मुफ्त में इलाज कराया जा
सकता है ।
हाइपोथर्मिया :- जब शिशु हाइपोथर्मिया का शिकार होता है उसे विटामिन K का इंजेक्शन लगता है जिसका लक्षण शिशु का शरीर नीला या पीला पड़ने
लगता है ।
परिवार नियोजन :- नियोजन के कई संसाधन हैं जिसके साथ साथ नसबंदी
भी किया जाता है लेकिन परिवार नियोजन कभी शत प्रतिशत सफल नहीं होता है ।
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