Saturday 9 July 2022

किशोरी स्वास्थ्य के मुद्दे पर तार्किक एवं वैज्ञानिक पहल से सकारात्मक परिवर्तन हासिल किया जा सकता है ....

 

किशोरी स्वास्थ्य के मुद्दे पर तार्किक एवं वैज्ञानिक पहल से सकारात्मक परिवर्तन हासिल किया जा सकता है ....



अनेई ग्राम की
  संगीता मुसहर को जब पहली बार माहवारी हुआ तो वह बुरी डर गयी थी, अपनी पैंटी में खून के धब्बे देखकर अपनी सहेली सुरेखा से इस शर्त पर यह बात साझा किया कि, वह किसी से कुछ नही बताएगी | अगर सुरेखा यह बात किसी से बताती है तो वह अपनी पढाई बीच में ही छोड़कर अपने ननिहाल चली जाएगी | सुरेखा को पहले से ही माहवारी आ चुका था तो उसे थोडा बहुत जानकारी था और संगीता स्कूल आना बंद कर देती तो सुरेखा का स्कूल आना भी बंद हो जाता यह बात भी सुरेखा जानती थी सो उसने संगीता के शर्त को मान लिया और अपनी जानकारी के आधार पर संगीता को बताया कि, ऐसा लडकियों को हर महीने के चार – पांच दिनों में होता है फिर सब ठीक हो जाता है घबराने की कोई बात नही है  धीरे – धीरे दो – तीन महीने बाद संगीता की माँ को भी उसके माहवारी आने के बारे में पता चल गया|

किशोरावस्था एक ऐसी अवस्था है जब बचपन पूरी तरह से नही गया होता है और ना ही व्यक्ति वयस्कों में शामिल किया जाता है, वंही शरीर में बहुत सारे शारीरिक एवं मानसिक बदलाव हो रहे होते हैं | यह सब कुछ पहली बार हो रहा होता है सामान्यत: जिसके बारे में किशोरों को कोई जानकारी नही होती है |इन परिवर्तनों के बारे में उनके मन में बहुत सारे सवाल होते हैं जिनको किसी से पूछने में शर्म और झिझक होता है | ऐसा कोई माध्यम नही हैजंहा अपने शरीर में आने इन बदलावों को समझ सकें दूसरी तरफ कोई कुछ बताने को तैयार तो कम ही होता बल्कि हिदायतें और पाबंदी ढेर सारी दी जाने लगतीं हैं | किशोरियों के मन में माहवारी को लेकर अनेको सवाल होतें हैं जिसके सन्दर्भ में वैज्ञानिक एवं तार्किक जानकारी प्राप्त करने का कोई साधन नही होता है जिसके अभाव में प्रचलित भ्रांतियों का पालन करना उनकी विवशता बन जाता है | इन सबसे उनका स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है कई बार बुरे प्रभाव उन्हें पुरीउम्र झेलना पड़ता है |

किशोरियों के स्वास्थ्य की इन्ही कठिन चुनौतियों को देखते हुए उनके स्वास्थ्य व्यक्तिगत स्वच्छता पोषण एवं माहवारी पर जनमित्र न्यास द्वारा पिछले पांच वर्षो से किशोरी समूहों के साथ उनके जानकारी के स्तर को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम सेउच्च स्तर तक बढाने का प्रयास किया जा रहा है | जनमित्र न्यास सामाजिक, आर्थिक रूप से अति वंचित समुदायों मुसहर, नट जैसे अनुसूचित जाति एवं जनजाति के साथ उनके मानवीय अधिकारों के संरक्षण एवं सम्वर्धन का कार्य करता रहा है | हाशिए पर जीवन यापन करने वाले इन समुदायों के विभिन्न आयु वर्ग के साथ उनके समस्याओं और चुनौतियों के आधार पर उनके ज्ञान व्यवहार एवं अभ्यास में वैज्ञानिक एवं तार्किक परिप्रेक्ष्य के विकास के लिए सतत रूप से विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम एवं गतिविधियों के आयोजनों के साथ उन्हें सरकारी कार्यक्रमों योजनाओं एवं सेवाओं में पहुंच बनाने का कार्य कर रहा है |

चाइल्ड राइट्स एंड यू (CRY ) के साथ जनमित्र न्यास के सामाजिक विकास के कामकाज में यूएन सीआरसी के अधीन बच्चों के जीवन जीने के अधिकार को केंद्र रखकर देखें तो शिशु एवं बाल मृत्यु, बच्चों में कुपोषण, उनमे रुग्णता दर अधिक, कमजोर शारीरिक एवं मानसिक विकास सभी के पीछे यदि गहराई से पड़ताल किया जाए तो यही पाया जाएगा कि, एक कमजोर कुपोषित किशोरी जिसके जानकारी और ज्ञान का आधार भ्रन्तिया, अवैज्ञानिक तर्क, व्यवहार एवं अभ्यास ही रहा है | बच्चों के जीवन को सुरक्षित करने के लिए किशोरावस्था से ही किशोरियों के साथ काम किया जाना आवश्यक है | इसी आयु में वे उनके शरीर में बदलाव हो रहे होते हैं, जानकारी के अभाव के साथ लैंगिक विभिन्नताओं के कारण में वे खुद के स्वास्थ्य को कोई महत्व नही देने का ज्ञान व्यवहार ही उन्हें हमारा समाज सिखाता है | जंहा माहवारी एक शर्म संकोच और झिझक का विषय माना गया हैं पराया धन होने कि मान्यता के कारण उनकी थाली में अपनी माताओं की तरह हीअंत का बचा हुआ खाना ही आता है जिससे पोषण की उम्मीद करना एक भ्रम है |

किशोरियों का स्वास्थ्य एक गम्भीर मुद्दे के रूप में परिलक्षित होता दिखाई दे रहा था जिनका वर्तमान भी स्वास्थ्य जनित समस्याओं से प्रभावित है और भविष्य भी क्योंकि यही किशोरियां कल माताएं बनतीं हैं |

ऐसे में किशोरियों के बीच जीवन कौशल के सत्र संचालन मेंकिशोरियों से जब इस विषय पर चर्चा किया गया तब शुरुआत में उनकी चुप्पी कुछ इस तरह की थी कि जैसे वे माहवारी विषय पर चर्चा किए जाने के अनुकूल उम्र की नही हैं  लेकिन ऐसा सिर्फ और सिर्फ शर्म और कोई बातचीत नही किए जाने या सबसे छिपाकर रखने वाले विषय के कारण था | धीरे - धीरे उनके अंदर के शर्म और संकोच को दूर करते हुए छोटी – छोटी बैठकों के माध्यम से उन्हें माहवारी, माहवारी प्रबंधन, किशोरावस्था, व्यक्तिगत स्वच्छता देखभाल, स्वास्थ्य एवं पोषण जैसे गम्भीर मुद्दों पर किशोरियों के साथ सत्र संचालित किए गए |

चुप्पी टूटने के बाद किशोरियों ने माहवारी प्रबंधन के ऐसे व्यवहार एवं भ्रांतियों को  साझा किया जो बेहद अवैज्ञानिक और अस्वच्छकर थे यथा – माहवारी के दौरान शिशुओं व् बच्चों को छूने से उन्हें सुखंडी रोग हो जाता है | जबकि यह बच्चों में प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट वसा जैसे पोषक तत्वों की कमी के कारण होने वाला कुपोषण है |इसी प्रकार आचार, अनाज भण्डार छूने या फसल लगे खेतों में जाने से उनमें कीड़ा लग जाता है या फसल खराब हो जाता है, पौधों को छूने से वे सुख जाते हैं | दूध दही मिठाई और खट्टी चीजें खाने से माहवारी खराब हो जाता है यानि कि अधिक दर्द व्  रक्तस्राव होता है, ऐसी अनगिनत भ्रम को व्यवहार में लाने के लिए उन्हें बाध्य किया जाता था इनकी अनदेखी करने पर उन्हें ठेस/आहत करने वाली बातें घर एवं पास पड़ोस की अन्य महिलाओं द्वारा कहा जाता है जिससे वे मानसिक उत्पीड़न और वेदना से पीड़ित होतीं हैं | इन्ही कारणों से वे अपनी माहवारी को छिपाकर रखना चाहतीं है कि उन्हें भेदभाव का शिकार न होना पड़े | आम तौर पर किशोरियां अपनी माँ, भाभी, बड़ी बहन से अपनी पहली माहवारी की  बात बहुत ही संकोच के साथ विवशतावश साझा करती हैं, चूँकि वे खुद अल्प ज्ञानी और भ्रांतियों की पोषक होतीं हैं तो ऐसी ही जानकारी किशोरियों को भी देती हैं यथा – पहली बार माहवारी आने पर पांच गोबर के उपले/ कंडे बनाकर उसमें से ढाई उपलों को पुन: खराब कर देना, इसी प्रकार चारपाई की रस्सी के छोटे- छोटे ढाई टुकड़े को कंही बांध देना जिसकी मान्यता है कि इससे माहवारी सिर्फ ढाई दिन ही रहेगा |

ऐसी तमाम भ्रांतियों को किशोरियों द्वारा साझा किए जाने के बाद उन पर तार्किक दृष्टिकोण से उनके भ्रम को तोड़ते हुए उन्हें प्रेरित किया गया कि अनाज के भण्डार, आचार को चोरी छिपे छूकर देखें कि, उनमें कीड़े लगते हैं या नही | इसी प्रकार माहवारी में प्रयोग किए गए कपड़ों को खेतों कि मिट्टी में दबाकर निस्तारण किए जाने की ही प्रथा है ऐसे में फसल वाले खेत में जाने से फसलों का नुकसान कैसे होगा |

किशोरियों के साथ बैठकों में माहवारी में प्रयोग किए जाने वाले कपड़ों या सेनेट्री पैड की भारी कमी से जूझने और चौकाने वाले तथ्य  सामने आए कि, जंहा किशोरियां अपने झोपडी के ऊपर फेंके गए फालतू फटे पुराने और धूल -गर्दे में लिपटे गंदे कपड़ो का इस्तेमाल करतीं हैं उनके पास साफ सूती कपड़ों के अभाव में अधिकांशत: सिंथेटिककपड़ों काप्रयोग करने की विवशता है जिनमें  कि रक्तस्राव को सोखने का गुण तो नही होता है साथ ही वे गर्म होते हैं जिससे प्रजनन अंग के आसपास कि त्वचा में संक्रमण होने का पूरा  सम्भावना होता है |

एक तरफ ये किशोरियां आर्थिक रूप से कमजोर तबके से सम्बद्ध हैं वंही लैंगिक विषमता कंहा उनका पीछा छोड़ने वाला है | ऐसे में पोषण / खानपान की चुनौती तो उनके जीवन के प्रतिदिन का कुछ ऐसा हिस्सा होता है कि, यह उन्हें किसी समस्या के रूप में महसूस भी नही होता है, सो घर में अंत में बचा खुचा खाना खाने, डेयरी प्रोडक्ट, मांस-मछली, फल, हरी साग - सब्जियों (प्रोटीन एवं आयरनयुक्त खाद्य ) की उपलब्धता नही होने, रूचिकर नही होने के कारण सेवन नही करने एवं कई प्रकार की भ्रांतियां जिनकी चर्चा पूर्व में किया गया है सब मिलाकर वे अल्प पोषित कमजोर कुपोषित होतीं हैं | जबकि माहवारी के समय उन्हें पोषक खाद्य पदार्थों कि अति आवश्यकता होती है |  इन चुनौतियों के वजह से उनमें थकान, कमजोरी, हाथ- पैर कमर पेडू में दर्द, चिडचिडापनबना रहता है उनका किसी काम में मन नही लगता या कमजोरी थकान से वे काम कर नही पातीं हैं ऐसे मेंउन्हें परिवार के सदस्यों के गुस्से तनाव हिंसा या फिरउनकी अनदेखी का शिकार होना पड़ता है |

न्यास द्वारा इन चुनौतियों से निपटने के लिए परिवार के महिला सदस्यों के साथ-साथ पुरुष सदस्य विशेषकर भाइयों को भी उनके किशोरी उम्र की बहनों के माहवारी के सन्दर्भ में जानकारी देकर उन्हें इस बदलावों को समझते हुए उनका घर के काम में सहयोग करने के लिए प्रेरित किया गया जिससे वे मूल समस्या को समझ सकें माहवारी के समय पैदा हुए तनाव से निपटने मेंअपनी बहन भाभी, माँ की मदद कर सकें |

माहवारी विषय पर सत्र संचालन शुरूआती दौर में सहज नही था माताएं अपनी किशोरव्य की बेटियों को संस्था द्वारा आयोजित जीवन कौशल सत्रों भागीदारी से रोकने का प्रयास करतीं थीं क्योंकि घर की  बिटिया जितने देर घर से बाहर होगी उतने समय घरेलू कामकाज में व्यवधान होगा | किन्तु जब कुछ किशोरियों द्वारा  सत्रों में भागीदारी किया गया और उनके जानकारी के स्तर में वृद्धि के साथ - साथ किशोरियों के व्यवहार में जब परिवर्तन आया तब काफी संख्या में किशोरियां शामिल होने लगीं माताएं उन्हें खुद प्रेरित करके भागीदारी करने के लिए भेजने लगी, इस तरह संस्था द्वारा करीब 250 सत्रों का संचालन किया जा चुका है  |

माहवारी क्या है, किसे और किस उम्र में होता है, महिला प्रजनन अंग की संरचना,महिला शरीर में उसकी आवश्यकता व् महत्व, व्यक्तिगत साफ सफाई , माहवारी प्रबंधन, स्वच्छ कपड़ों से पैड बनना, प्रयुक्त पैड का निस्तारण, पैड के लिए स्वच्छ कपड़ें व् सेनेट्री कि व्यवस्था के लिए घर के अनावश्यक खर्चों में कटौती, किशोरियों में आयरन, प्रोटीन, विटामिन युक्त खाध्य पदार्थो जो उस क्षेत्र में कम खर्चों में आसानी से उपलब्ध हों ऐसे खानपानको व्यवहार में लाने की जानकारी, माहवारी में स्वास्थ्य देखभाल आदिविषयों पर इन सत्रों में माहवारी से जुड़े सूक्ष्म से सूक्ष्म जानकारी सूचना संवाद शिक्षा संसाधन - ICEमैटेरियल, वीडियो फ़िल्में काफी सहयोगी रहीं|

किशोरियों के बीच प्रश्नोत्तरी कार्यक्रमों का संचालन इस उद्देश्य से किया गया कि यह जानकारी प्राप्त किया जा सके कि,  माहवारी व्यक्तिगत स्वच्छता देखभाल एवं खानपान के सन्दर्भ दी गयी जानकारीयों को किशोरियों ने कितना सीखा समझा, समय – समय पर व्यवहार परिवर्तन के दृष्टिकोण से किशोरियों को सेनेट्री पैड का वितरण करने के साथ उसका इस्तेमाल करने का तरीका भी डेमो करके दिखाया गया | संस्था द्वारा अब तक 450  से अधिक किशोरियों को 2500 हजार सेनेट्री पैड का वितरण किया गया जिससे उनमें व्यवहार परिवर्तन के साथ आभ्यास बने |

जानकारियों को याद रखने और पुनरावलोकन के दृष्टि से “ किशोरी स्वास्थ्य एवं व्यक्तिगत स्वच्छता ”विषय पर पर्चा एवं

 “ किशोरी स्वास्थ्य एवं पोषण पुस्तिका ” पॉकेट पुस्तिका का प्रकाशन एवं किशोरियों के साथ वितरण किया गया | माहवारी विषय पर स्थाई परिवर्तन लाने के लिए किशोरी स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण एवं सम्पूर्ण मुद्दा होगा, सम्पूर्णता के लिए किशोरियों के स्वास्थ्य पर समझ विकसित करते हुए विभिन्न प्रकार के प्रयास करने होगा वंही किशोरियों के साथ – साथ  परिवार के सदस्यों सहित AAA को भी इस मुद्दे पर सचेत होना होगा |

JMN एवं CRY अपने सहकार्य में इस मुद्दे को वृहद मुद्दे के रूप में देखते हुए किशोरियों को आयरन की गोली, टिटनेस के टीके के साथ ही हिमोग्लोबिन स्तर के जाँच की पैरवी किया गया है| शुरुआत में जाँच एवं टिटनेस टीके लगवाने में किशोरियों की सहभागिता डर वशकम रहा किन्तु आज के समय वे खुद आगे आकर नई किशोरियों को प्रेरित कर रहीं हैं |