Saturday 9 July 2022

किशोरी स्वास्थ्य के मुद्दे पर तार्किक एवं वैज्ञानिक पहल से सकारात्मक परिवर्तन हासिल किया जा सकता है ....

 

किशोरी स्वास्थ्य के मुद्दे पर तार्किक एवं वैज्ञानिक पहल से सकारात्मक परिवर्तन हासिल किया जा सकता है ....



अनेई ग्राम की
  संगीता मुसहर को जब पहली बार माहवारी हुआ तो वह बुरी डर गयी थी, अपनी पैंटी में खून के धब्बे देखकर अपनी सहेली सुरेखा से इस शर्त पर यह बात साझा किया कि, वह किसी से कुछ नही बताएगी | अगर सुरेखा यह बात किसी से बताती है तो वह अपनी पढाई बीच में ही छोड़कर अपने ननिहाल चली जाएगी | सुरेखा को पहले से ही माहवारी आ चुका था तो उसे थोडा बहुत जानकारी था और संगीता स्कूल आना बंद कर देती तो सुरेखा का स्कूल आना भी बंद हो जाता यह बात भी सुरेखा जानती थी सो उसने संगीता के शर्त को मान लिया और अपनी जानकारी के आधार पर संगीता को बताया कि, ऐसा लडकियों को हर महीने के चार – पांच दिनों में होता है फिर सब ठीक हो जाता है घबराने की कोई बात नही है  धीरे – धीरे दो – तीन महीने बाद संगीता की माँ को भी उसके माहवारी आने के बारे में पता चल गया|

किशोरावस्था एक ऐसी अवस्था है जब बचपन पूरी तरह से नही गया होता है और ना ही व्यक्ति वयस्कों में शामिल किया जाता है, वंही शरीर में बहुत सारे शारीरिक एवं मानसिक बदलाव हो रहे होते हैं | यह सब कुछ पहली बार हो रहा होता है सामान्यत: जिसके बारे में किशोरों को कोई जानकारी नही होती है |इन परिवर्तनों के बारे में उनके मन में बहुत सारे सवाल होते हैं जिनको किसी से पूछने में शर्म और झिझक होता है | ऐसा कोई माध्यम नही हैजंहा अपने शरीर में आने इन बदलावों को समझ सकें दूसरी तरफ कोई कुछ बताने को तैयार तो कम ही होता बल्कि हिदायतें और पाबंदी ढेर सारी दी जाने लगतीं हैं | किशोरियों के मन में माहवारी को लेकर अनेको सवाल होतें हैं जिसके सन्दर्भ में वैज्ञानिक एवं तार्किक जानकारी प्राप्त करने का कोई साधन नही होता है जिसके अभाव में प्रचलित भ्रांतियों का पालन करना उनकी विवशता बन जाता है | इन सबसे उनका स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है कई बार बुरे प्रभाव उन्हें पुरीउम्र झेलना पड़ता है |

किशोरियों के स्वास्थ्य की इन्ही कठिन चुनौतियों को देखते हुए उनके स्वास्थ्य व्यक्तिगत स्वच्छता पोषण एवं माहवारी पर जनमित्र न्यास द्वारा पिछले पांच वर्षो से किशोरी समूहों के साथ उनके जानकारी के स्तर को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम सेउच्च स्तर तक बढाने का प्रयास किया जा रहा है | जनमित्र न्यास सामाजिक, आर्थिक रूप से अति वंचित समुदायों मुसहर, नट जैसे अनुसूचित जाति एवं जनजाति के साथ उनके मानवीय अधिकारों के संरक्षण एवं सम्वर्धन का कार्य करता रहा है | हाशिए पर जीवन यापन करने वाले इन समुदायों के विभिन्न आयु वर्ग के साथ उनके समस्याओं और चुनौतियों के आधार पर उनके ज्ञान व्यवहार एवं अभ्यास में वैज्ञानिक एवं तार्किक परिप्रेक्ष्य के विकास के लिए सतत रूप से विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम एवं गतिविधियों के आयोजनों के साथ उन्हें सरकारी कार्यक्रमों योजनाओं एवं सेवाओं में पहुंच बनाने का कार्य कर रहा है |

चाइल्ड राइट्स एंड यू (CRY ) के साथ जनमित्र न्यास के सामाजिक विकास के कामकाज में यूएन सीआरसी के अधीन बच्चों के जीवन जीने के अधिकार को केंद्र रखकर देखें तो शिशु एवं बाल मृत्यु, बच्चों में कुपोषण, उनमे रुग्णता दर अधिक, कमजोर शारीरिक एवं मानसिक विकास सभी के पीछे यदि गहराई से पड़ताल किया जाए तो यही पाया जाएगा कि, एक कमजोर कुपोषित किशोरी जिसके जानकारी और ज्ञान का आधार भ्रन्तिया, अवैज्ञानिक तर्क, व्यवहार एवं अभ्यास ही रहा है | बच्चों के जीवन को सुरक्षित करने के लिए किशोरावस्था से ही किशोरियों के साथ काम किया जाना आवश्यक है | इसी आयु में वे उनके शरीर में बदलाव हो रहे होते हैं, जानकारी के अभाव के साथ लैंगिक विभिन्नताओं के कारण में वे खुद के स्वास्थ्य को कोई महत्व नही देने का ज्ञान व्यवहार ही उन्हें हमारा समाज सिखाता है | जंहा माहवारी एक शर्म संकोच और झिझक का विषय माना गया हैं पराया धन होने कि मान्यता के कारण उनकी थाली में अपनी माताओं की तरह हीअंत का बचा हुआ खाना ही आता है जिससे पोषण की उम्मीद करना एक भ्रम है |

किशोरियों का स्वास्थ्य एक गम्भीर मुद्दे के रूप में परिलक्षित होता दिखाई दे रहा था जिनका वर्तमान भी स्वास्थ्य जनित समस्याओं से प्रभावित है और भविष्य भी क्योंकि यही किशोरियां कल माताएं बनतीं हैं |

ऐसे में किशोरियों के बीच जीवन कौशल के सत्र संचालन मेंकिशोरियों से जब इस विषय पर चर्चा किया गया तब शुरुआत में उनकी चुप्पी कुछ इस तरह की थी कि जैसे वे माहवारी विषय पर चर्चा किए जाने के अनुकूल उम्र की नही हैं  लेकिन ऐसा सिर्फ और सिर्फ शर्म और कोई बातचीत नही किए जाने या सबसे छिपाकर रखने वाले विषय के कारण था | धीरे - धीरे उनके अंदर के शर्म और संकोच को दूर करते हुए छोटी – छोटी बैठकों के माध्यम से उन्हें माहवारी, माहवारी प्रबंधन, किशोरावस्था, व्यक्तिगत स्वच्छता देखभाल, स्वास्थ्य एवं पोषण जैसे गम्भीर मुद्दों पर किशोरियों के साथ सत्र संचालित किए गए |

चुप्पी टूटने के बाद किशोरियों ने माहवारी प्रबंधन के ऐसे व्यवहार एवं भ्रांतियों को  साझा किया जो बेहद अवैज्ञानिक और अस्वच्छकर थे यथा – माहवारी के दौरान शिशुओं व् बच्चों को छूने से उन्हें सुखंडी रोग हो जाता है | जबकि यह बच्चों में प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट वसा जैसे पोषक तत्वों की कमी के कारण होने वाला कुपोषण है |इसी प्रकार आचार, अनाज भण्डार छूने या फसल लगे खेतों में जाने से उनमें कीड़ा लग जाता है या फसल खराब हो जाता है, पौधों को छूने से वे सुख जाते हैं | दूध दही मिठाई और खट्टी चीजें खाने से माहवारी खराब हो जाता है यानि कि अधिक दर्द व्  रक्तस्राव होता है, ऐसी अनगिनत भ्रम को व्यवहार में लाने के लिए उन्हें बाध्य किया जाता था इनकी अनदेखी करने पर उन्हें ठेस/आहत करने वाली बातें घर एवं पास पड़ोस की अन्य महिलाओं द्वारा कहा जाता है जिससे वे मानसिक उत्पीड़न और वेदना से पीड़ित होतीं हैं | इन्ही कारणों से वे अपनी माहवारी को छिपाकर रखना चाहतीं है कि उन्हें भेदभाव का शिकार न होना पड़े | आम तौर पर किशोरियां अपनी माँ, भाभी, बड़ी बहन से अपनी पहली माहवारी की  बात बहुत ही संकोच के साथ विवशतावश साझा करती हैं, चूँकि वे खुद अल्प ज्ञानी और भ्रांतियों की पोषक होतीं हैं तो ऐसी ही जानकारी किशोरियों को भी देती हैं यथा – पहली बार माहवारी आने पर पांच गोबर के उपले/ कंडे बनाकर उसमें से ढाई उपलों को पुन: खराब कर देना, इसी प्रकार चारपाई की रस्सी के छोटे- छोटे ढाई टुकड़े को कंही बांध देना जिसकी मान्यता है कि इससे माहवारी सिर्फ ढाई दिन ही रहेगा |

ऐसी तमाम भ्रांतियों को किशोरियों द्वारा साझा किए जाने के बाद उन पर तार्किक दृष्टिकोण से उनके भ्रम को तोड़ते हुए उन्हें प्रेरित किया गया कि अनाज के भण्डार, आचार को चोरी छिपे छूकर देखें कि, उनमें कीड़े लगते हैं या नही | इसी प्रकार माहवारी में प्रयोग किए गए कपड़ों को खेतों कि मिट्टी में दबाकर निस्तारण किए जाने की ही प्रथा है ऐसे में फसल वाले खेत में जाने से फसलों का नुकसान कैसे होगा |

किशोरियों के साथ बैठकों में माहवारी में प्रयोग किए जाने वाले कपड़ों या सेनेट्री पैड की भारी कमी से जूझने और चौकाने वाले तथ्य  सामने आए कि, जंहा किशोरियां अपने झोपडी के ऊपर फेंके गए फालतू फटे पुराने और धूल -गर्दे में लिपटे गंदे कपड़ो का इस्तेमाल करतीं हैं उनके पास साफ सूती कपड़ों के अभाव में अधिकांशत: सिंथेटिककपड़ों काप्रयोग करने की विवशता है जिनमें  कि रक्तस्राव को सोखने का गुण तो नही होता है साथ ही वे गर्म होते हैं जिससे प्रजनन अंग के आसपास कि त्वचा में संक्रमण होने का पूरा  सम्भावना होता है |

एक तरफ ये किशोरियां आर्थिक रूप से कमजोर तबके से सम्बद्ध हैं वंही लैंगिक विषमता कंहा उनका पीछा छोड़ने वाला है | ऐसे में पोषण / खानपान की चुनौती तो उनके जीवन के प्रतिदिन का कुछ ऐसा हिस्सा होता है कि, यह उन्हें किसी समस्या के रूप में महसूस भी नही होता है, सो घर में अंत में बचा खुचा खाना खाने, डेयरी प्रोडक्ट, मांस-मछली, फल, हरी साग - सब्जियों (प्रोटीन एवं आयरनयुक्त खाद्य ) की उपलब्धता नही होने, रूचिकर नही होने के कारण सेवन नही करने एवं कई प्रकार की भ्रांतियां जिनकी चर्चा पूर्व में किया गया है सब मिलाकर वे अल्प पोषित कमजोर कुपोषित होतीं हैं | जबकि माहवारी के समय उन्हें पोषक खाद्य पदार्थों कि अति आवश्यकता होती है |  इन चुनौतियों के वजह से उनमें थकान, कमजोरी, हाथ- पैर कमर पेडू में दर्द, चिडचिडापनबना रहता है उनका किसी काम में मन नही लगता या कमजोरी थकान से वे काम कर नही पातीं हैं ऐसे मेंउन्हें परिवार के सदस्यों के गुस्से तनाव हिंसा या फिरउनकी अनदेखी का शिकार होना पड़ता है |

न्यास द्वारा इन चुनौतियों से निपटने के लिए परिवार के महिला सदस्यों के साथ-साथ पुरुष सदस्य विशेषकर भाइयों को भी उनके किशोरी उम्र की बहनों के माहवारी के सन्दर्भ में जानकारी देकर उन्हें इस बदलावों को समझते हुए उनका घर के काम में सहयोग करने के लिए प्रेरित किया गया जिससे वे मूल समस्या को समझ सकें माहवारी के समय पैदा हुए तनाव से निपटने मेंअपनी बहन भाभी, माँ की मदद कर सकें |

माहवारी विषय पर सत्र संचालन शुरूआती दौर में सहज नही था माताएं अपनी किशोरव्य की बेटियों को संस्था द्वारा आयोजित जीवन कौशल सत्रों भागीदारी से रोकने का प्रयास करतीं थीं क्योंकि घर की  बिटिया जितने देर घर से बाहर होगी उतने समय घरेलू कामकाज में व्यवधान होगा | किन्तु जब कुछ किशोरियों द्वारा  सत्रों में भागीदारी किया गया और उनके जानकारी के स्तर में वृद्धि के साथ - साथ किशोरियों के व्यवहार में जब परिवर्तन आया तब काफी संख्या में किशोरियां शामिल होने लगीं माताएं उन्हें खुद प्रेरित करके भागीदारी करने के लिए भेजने लगी, इस तरह संस्था द्वारा करीब 250 सत्रों का संचालन किया जा चुका है  |

माहवारी क्या है, किसे और किस उम्र में होता है, महिला प्रजनन अंग की संरचना,महिला शरीर में उसकी आवश्यकता व् महत्व, व्यक्तिगत साफ सफाई , माहवारी प्रबंधन, स्वच्छ कपड़ों से पैड बनना, प्रयुक्त पैड का निस्तारण, पैड के लिए स्वच्छ कपड़ें व् सेनेट्री कि व्यवस्था के लिए घर के अनावश्यक खर्चों में कटौती, किशोरियों में आयरन, प्रोटीन, विटामिन युक्त खाध्य पदार्थो जो उस क्षेत्र में कम खर्चों में आसानी से उपलब्ध हों ऐसे खानपानको व्यवहार में लाने की जानकारी, माहवारी में स्वास्थ्य देखभाल आदिविषयों पर इन सत्रों में माहवारी से जुड़े सूक्ष्म से सूक्ष्म जानकारी सूचना संवाद शिक्षा संसाधन - ICEमैटेरियल, वीडियो फ़िल्में काफी सहयोगी रहीं|

किशोरियों के बीच प्रश्नोत्तरी कार्यक्रमों का संचालन इस उद्देश्य से किया गया कि यह जानकारी प्राप्त किया जा सके कि,  माहवारी व्यक्तिगत स्वच्छता देखभाल एवं खानपान के सन्दर्भ दी गयी जानकारीयों को किशोरियों ने कितना सीखा समझा, समय – समय पर व्यवहार परिवर्तन के दृष्टिकोण से किशोरियों को सेनेट्री पैड का वितरण करने के साथ उसका इस्तेमाल करने का तरीका भी डेमो करके दिखाया गया | संस्था द्वारा अब तक 450  से अधिक किशोरियों को 2500 हजार सेनेट्री पैड का वितरण किया गया जिससे उनमें व्यवहार परिवर्तन के साथ आभ्यास बने |

जानकारियों को याद रखने और पुनरावलोकन के दृष्टि से “ किशोरी स्वास्थ्य एवं व्यक्तिगत स्वच्छता ”विषय पर पर्चा एवं

 “ किशोरी स्वास्थ्य एवं पोषण पुस्तिका ” पॉकेट पुस्तिका का प्रकाशन एवं किशोरियों के साथ वितरण किया गया | माहवारी विषय पर स्थाई परिवर्तन लाने के लिए किशोरी स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण एवं सम्पूर्ण मुद्दा होगा, सम्पूर्णता के लिए किशोरियों के स्वास्थ्य पर समझ विकसित करते हुए विभिन्न प्रकार के प्रयास करने होगा वंही किशोरियों के साथ – साथ  परिवार के सदस्यों सहित AAA को भी इस मुद्दे पर सचेत होना होगा |

JMN एवं CRY अपने सहकार्य में इस मुद्दे को वृहद मुद्दे के रूप में देखते हुए किशोरियों को आयरन की गोली, टिटनेस के टीके के साथ ही हिमोग्लोबिन स्तर के जाँच की पैरवी किया गया है| शुरुआत में जाँच एवं टिटनेस टीके लगवाने में किशोरियों की सहभागिता डर वशकम रहा किन्तु आज के समय वे खुद आगे आकर नई किशोरियों को प्रेरित कर रहीं हैं |

 

 

 

 

 

 

 

 

Monday 10 January 2022

The roots of child marriage

 


बाल विवाह की जड़ें वंचित जातियों की बदहाल जीवन स्थितियों में है, शादी की कानूनी आयुसीमा में नहीं!

बाल विवाह कानून को बने लम्बा समय हुआ। आज दशकों बाद बाल विवाह कानून में संशोधन करके लडकियों के विवाह की आयुसीमा को न्यूनतम उम्र 18 वर्ष से बढ़ाकर लडकों की उम्र के बराबर 21 वर्ष किए जाने का प्रस्ताव है। क्या यह जानने-समझने की जरूरत नहीं है कि आज भी बाल विवाह जैसी कुप्रथा किन जाति विशेष के व्यवहार में है? उनकी सामाजिक आर्थिक विकास की क्या स्थिति है? जिन जातियों में आज बाल विवाह की घटनाएं नहीं हो रही हैं क्या वे सिर्फ कानून के भय से बाल विवाह की कुप्रथा से मुक्त हो पाए या समाज की मुख्यधारा ने उन्हें प्रभावित किया और अपने से जोड़ा जिसके बाद उन्होंने बाल विवाह को ख़ारिज किया और बाल विवाह के कारण होने वाले तमाम समस्याओं से मुक्त हो पाए?

यह एक गम्भीर विचारणीय प्रश्न है। इन प्रश्नों के समाधान में ही बाल विवाह जैसी कुप्रथा का अंत है, न कि लड़कियों के विवाह की उम्र को बढ़ाया जाना जबकि हमारे पास ऐसा कोई ठोस व्यवस्था दिखाई नहीं पड़ती है कि यदि लड़कियों के विवाह की उम्र 21 वर्ष हो जाए तो इस अवधि में वे क्या करेंगी और कहां अपने को व्यस्त रखेंगी। देश, समाज और परिवार का दृष्टिकोण और संसाधन उनकी कितनी मदद करेंगे?  

https://junputh.com/open-space/menace-of-child-marriage-is-linked-to-the-marginalised-groups/

Thursday 17 June 2021

UP government to help destitute children

 6 बेसाहरा बच्चो के लिए पैरवी जनमित्र न्यास द्वारा किया गया  


कोविड19 के दौरान बच्चो के माता या पिता की मृत्यु हुयी है तथा उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है, इन बच्चो के परिवार को मदद करने के संदर्भ में मुख्यमंत्री, राष्ट्रीय बाल सरंक्षण आयोज जिलाधिकारी वाराणसी, मुख्य चिकित्सयाधिकारी वाराणसी व जिला बाल सुरक्षा अधिकारी के साथ पैरवी हुआ 

 **परिणाम :- जिला बाल सुरक्षा अधिकारी द्वारा 6 बच्चो का विवरण आधारकार्ड के साथ शासन के वेवसाईट पर अपलोड कर दिया गया है जिसके संदर्भ में जिलाधिकारी द्वारा समीक्षा बैठक की गई और इन बच्चों को मदद करने का आदेश दिया* 

        पढ़े पूरा खबर 

महामारी में माता पिता को खो चुके 61 बच्चों की पालनहार बनी उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना

https://livevns.news/top-headlines/varanasi-uttar-pradesh-chief-minister-child-service-scheme/cid3305487.htm

Monday 11 January 2021

मिशन शक्ति

मिशन शक्ति अभियान के अन्तर्गत महिलाओं एवं बालिकाओं से सीधे संवाद स्थापित करने हेतु जिलाधिकारी वाराणसी की अध्यक्षता में ''हक की बात'' कार्यक्रम का आयोजन रायफल क्लब वाराणसी में आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य विकास अधिकारी महोदय द्वारा महिलाओं एवं बालिकाओं से सीधा संवाद करते हुए उनकी समस्याओं को सुना गया | कार्यक्रम में JMN /PVCHR से ग्रामीण महिलाओं और किशोरियों की सशक्त भागीदारी हुई , जिसमें महिलाओं द्वारा सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में अवैध वसूली, ANC नही किए जाने, अल्ट्रासाउंड प्राइवेट चिकित्सालयों में किए जाने की शिकायत एवं किशोरी ने स्कूलों में फीस वृद्धि की शिकायत किया। 

परियोजना क्षेत्र से CBO सदस्य लालती देवी ने कहा हरहुआ पीएचसी, सीएचसी कुआरीकलां शिशु कल्याण केन्द्र, बेलवरियां में बच्चे के जन्म के बाद रू0 700-00 देने के बाद ही महिलाओं को डिस्चार्ज किया जाता है। जिस पर CDO महोदय  द्वारा कारण बताओ नोटिस देने का आदेश दिया गया है | इसी तरह जनमित्र कार्यकर्ता ज्योति कुमारी ने अपने परियोजना क्षेत्र की समस्या को रखते हुए कहा कि बजरडीहा में सिर्फ बच्चों का टीकारण होता है, बाकी महिलओें व बच्चो ANC/PNC चेकअप बजरडीहा में नहीं होता क्योंकि वहॉ पीएचसी नहीं है अब दूसरी जगह चली गई है। इसी तरह जनमित्र न्यास की किशोरी समूह की तरफ से महिमा ने कहा कि श्री राम डिग्री कालेज में बीकाम द्वितीय वर्ष में एडमिशन में रू0 1000 की छूट की बात कही गयी परन्तु कोई छूट नहीं मिली। कोविड के दौरान परिवार कि स्थिति बहुत खराब हो गई है, फीस माफी को लेकर कार्यवाही नहीं हो रही है | इन मामलों पर जिस पर CDO महोदय  द्वारा कारण बताओ नोटिस देने का आदेश दिया गया है |

 

Saturday 17 August 2019

बालिका सुरक्षा जागरूकता अभियान - PVCHR


बालिका सुरक्षा जागरूकता अभियान 
1 जुलाई – 14 अगस्त 2019 के बीच उत्तर प्रदेश शासन द्वारा यूनिसेफ, पुलिस प्रशासन, बाल संरक्षण प्रशासन, महिला कल्याण विभाग एवं स्वयं सेवी संस्थाओं के सहयोग से बालिका जागरूकता अभियान का संचालन किया गया | वाराणसी जिले में कुल 5,09,626 छात्र/छात्राओं के साथ अभियान का संचालन किया गया, जिसमें JMN/PVCHR संस्था द्वारा कुल 4 थानों में 70,278 छात्र/छात्राओं तक जागरूकता अभियान का संचालन किया गया |
मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश शासन के निर्देश पर छात्र/छात्राओं के बीच बालिका सुरक्षा जागरूकता अभियान 1 जुलाई – 31 जुलाई के मध्यजिले स्कूल एवं कालेजों में छात्र/छात्राओं के बीच जागरूकता अभियान  संचालित किया गया है एवं 1 अगस्त – 14 अगस्त के बीच आध्यापकों का प्रशिक्षण आयोजित किया जाना था | इस अभियान को जुलाई अभियान या कवच ” ( CAVACH: Community Action to end Violence Against Children ) के नाम से भी जाना गया |
अभियान का संचालन किए जाने के लिएस्टेट रिसोर्स सेन्टर फॉर वूमन एंड चाइल्ड के द्वारा प्रदेश में एक विस्तृत माड्यूल एवं रुपरेखा तैयार किया गया था | जिसमें प्रशिक्षण माड्यूल, टीम का प्रशिक्षण,प्रशिक्षक सूची,जागरूकता क्रियान्वयन, प्रचार प्रसार,जनपद एवं राज्य स्तर रिपोर्टिंग, अभिलेखीकरण, अनुश्रवण एवं समीक्षा हेतु दिशा निर्देश दिया गया था|माड्यूल में प्रदेश शासन  द्वारा संचालित सुरक्षा सम्बंधी हेल्पलाइन नम्बर डायल 100, चाइल्ड लाइन न० 1098, वूमन पावर लाइन न० 1090 व महिला हिंसा के लिए 181 न० सहित उन्हें सुरक्षा सम्बंधी परिप्रेक्ष्य विकास के लिए - सुरक्षित स्पर्श व असुरक्षित स्पर्श,चुप्पी तोड़े आवाज उठाए, साइबर बुलिंग,लैंगिक हिंसा एवं भेदभाव आदि मुद्दों पर सत्र संचालन का दिशा निर्देश दिया गया था |
अभियान के अंतर्गत वाराणसी जिले के कुल 1149 प्रा० विद्यालय, पुर्व मा० विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय, इंटर कालेज, प्राइवेट स्कूल एवं कालेज के 5,09,626 छात्र/छात्राएं जिनमें 6-12 वर्ष के 1,80,395 एवं 13 वर्ष से अधिक उम्र के कुल 3,29,231 छात्र/छात्राएं शामिल किया गया |  
जनमित्र न्यास/मानवाधिकार जननिगरानी समिति द्वारा वाराणसी के 4 थाना बडागांव, फूलपुर, भेलूपुर एवं चोलापुर में 15 JMN/PVCHR टीम मेम्बर्स के सहयोग से कुल 177 प्राथमिक / पुर्व  माध्यमिक / माध्यमिक विद्यालयों, इंटर कालेज, प्राइवेट स्कूलों एवं मदरसों में कुल 70,278 जिनमें 6-12 वर्ष कुल 26,145 एवं 13 वर्ष से अधिक उम्र के 44,133 छात्र/छात्राओं के साथ बालिका सुरक्षा जागरूकता अभियान संचालित किया गया | संस्था द्वारा जिले स्तर पर अभियान की तैयारी बैठकों में मदरसों में भी अभियान संचालन का सुझाव रखा गया जिसके बाद वाराणसी में कई मदरसों में भी अभियान चलाया गया |
JNM/PVCHR द्वारा अपने परियोजना क्षेत्र में 44 स्कूलों/कालेज में कुल 11418 छात्र/छात्राओं (6 - 12 वर्ष की उम्र के कुल 4916 एवं 13 वर्ष से अधिक उम्र के कुल 6502) के बीच बालिका सुरक्षा जागरूकता अभियान संचालित किया गया | CRY परियोजना क्षेत्र में कुल 32 स्कूल/कालेज जिनमें 13 प्रा० विधयालय, 7 अपर प्रा० विद्यालय, 12 इंटर कालेज, एवं टाटा ट्रस्ट परियोजना क्षेत्र में के 12 मदरसों में अभियान संचालन करके छात्र/छात्राएं शामिल किए गए |
अभियान के दौरान उच्च अधिकारियों ने भी कुछ स्कूलों में जाने का निर्णय लिया जिससे वे स्वयं भी अभियान में भागीदारी कर सकें |
जिले में अभियान के लिए पुलिस विभाग से नोडल पर्सन DySP सुश्री स्नेहा तिवारी, यूनिसेफ टेक्निकल एडवाइजर श्री. प्रीतेश तिवारी एवं जिला बाल संरक्षण अधिकारी सुश्री निरुपमा सिंह के नेतृत्व में अभियान का सफल संचालन किया गया | अभियान का पहला साप्ताहिक मूल्यांकन व प्लानिंग बैठक 7 जुलाई को कमिश्नरी सभागार में हुआ | जिसमें जिले के 24 थानों के नामित उपनिरीक्षक (SI), महिला कांस्टेबल, महिला कल्याण विभाग के नामित सदस्य, यूनिसेफ के प्रतिनिधि एवं NGO प्रतिनिधि शामिल हुए | बैठक में वाराणसी मण्डल के पुलिस महानिरीक्षक श्री. विजय सिंह मीणा द्वारा अभियान में शामिल सभी भागीदारों से अपील किया कि, हम सभी को मिलकर अभियान का सफल संचालन करना है, इस अभियान के दौरान छात्राएं यदि हमारे पर विश्वास करके अपने साथ हुई किसी भी प्रकार की दुर्घटना को साझा कर पातीं हैं तो इस अभियान की सफलता इसी बात में है कि हम उनकी मदद करके लैंगिक उत्पीडन से उनका बचाव कर पाए और आरोपी के विरुध अबिलम्ब क़ानूनी कार्यवाही कर पाए | IG महोदय द्वारा यह अपेक्षा किया गया कि छात्राएं टीम से जो भी समस्या साझा करती हैं, उसकी सूचना पुलिस विभाग को कार्यवाही हेतु अवश्य दिया जाए | इस बाबत हर रविवार की रिव्यू प्लानिंग मीटिंग में भी नेतृत्व कर्ताओं द्वारा फलोअप किया गया |   अभियान द्वारा निर्धारित फार्मेट पर JMN/PVCHR द्वारा कुल 14 केश अभियान के संज्ञान में लिखित रूप में लाया गया है |
JMN/PVCHR को 4 ब्लाक बडागांव, पिंडरा, हरहुआ और काशीविद्यापीठ में शिक्षकों के प्रशिक्षण का अवसर भी मिला, जिसके लिए जिलाधिकारी महोदय द्वारा संस्था को नामित किया गया | बडागांव एवं काशीविद्यापीठ ब्लाक में श्री. मंगला प्रसाद द्वारा एवं पिंडरा एवं हरहुआ ब्लाक में सुश्री श्रुति नागवंशी द्वारा शिक्षकों का प्रशिक्षण किया गया |
प्रशिक्षण में बाल अधिकार (UNCRC) एवं अधिनियम 2005, किशोर न्याय अधिनियम 2015, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012,  बाल विवाह कानून 2006,  बाल श्रम कानून 1986, शारीरिक दण्ड, कन्या सुमंगला योजना, बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना सहित सभी हेल्पलाइन नम्बरों एवं उनके कार्य पद्धति का जानकारी दिया गया, और शासन के इस अपेक्षा से अवगत कराया गया कि, वे अपने विद्यार्थियों को प्रार्थना सभा सहित समय-समय पर विभिन्न माध्यमों से इन जानकारियों को बढ़ाने के लिए गतिविधियाँ संचालित करेंगे एवं शासन के निर्देश पर प्रत्येक विद्यालय में शिकायत पेटिका रखा जाएगा जो विद्यार्थियों के पहुंच में होगा जिसकी जानकारी विद्याथियों को दिया जाएगा |  
अभियान में बडागांव थाना अंतर्गत 25 जुलाई को दिल्ली पब्लिक स्कूल काजीसराय में वाराणसी मण्डल के पुलिस महानिरीक्षक श्री. विजय सिंह मीणा, SPra श्री. एम पी सिंह, 26 जुलाई को नववाणी श्रवण बाधित स्कूल कोइराजपुर में DySP सुश्री स्नेहा तिवारी, 31 जुलाई समापन समारोह में सेठ आनन्दराम जयपुरिया कान्वेंट स्कूल व्यास बाग में जिलाधिकारी वाराणसी श्री. सुरेन्द्र सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री. आनन्द कुलकर्णी, जिला प्रोबेशन अधिकारी श्री. पी के त्रिपाठी, डिप्टी पुलिस अधीक्षक सुश्री. स्नेहा तिवारी, संत अतुलानंद कान्वेंट स्कूल कोइराजपुर में बडागांव क्षेत्राधिकारी श्री. अर्जुन सिंह जी शामिल हुए |
इन सभी विद्यालयों में JMN/PVCHR ने अभियान के आयोजन की जिम्मेदारी सफलतापूर्वक उठाया जिसमें बडागांव थाना द्वारा अपेक्षित सहयोग भी प्राप्त हुआ |   
पुलिस उपनिरीक्षक, महिला कांस्टेबल, स्वयं सेवी संगठन, महिला कल्याण विभाग, यूनिसेफ, अथक प्रयास से वाराणसी जिले में सर्वाधिक संख्या कुल 5,09,626 छात्र/छात्राओं के साथ बालिका सुरक्षा जागरूकता अभियान का संचालन किया गया, जिसके लिए हम सभी बहुत गौरवान्वित हैं | 























Thursday 13 June 2019

Organizing by PVCHR - Free Health Camp at Marudih Pindra

मारुडीह मुसहर बस्ती में स्वास्थ्य कैम्प की तस्वीरें

NEWS LINK -http://www.nispakshbharat.com/NewsDetail?id=521
                 
                       https://youtu.be/BPZLaNbXxfk