मानवाधिकार जननिगरानी समिति द्वारा दीपावली की पूर्व संध्या पर बरहीं कलां में मुसहर परिवारों
के बीच मनाया दीपावली इस मौके पर यंहा के बाईस परिवारों के बीच मिठाई दाना चूरा मिलकर खाया और हर
परिवार के बीच मिठाई और दीपावली पर खाया जाने वाला चीनी की मिठाई बांटा गया |
वाराणसी जिले के बडागांव ब्लाक केबरहीं कलां गाँव के दक्षिणी छोर पर स्थित मुसहर
बस्ती में बाईस मुसहर परिवारों का कुनबा छोटी सी जमीन पर बुनियादी सुविधाओ के
अभावों में जीवन जी रहे हैं| जैसाकि अक्सर हमारा अनुभव होता है कि संसाधनो के अभावों
में विपरीत परिस्थितियों से जूझते हुए लोगों का व्यवहारतनाव को पैदा करने वाला
होता है लेकिन बरहीं कलां के मुसहर परिवार ऐसे विषम और गैरबराबरी आधरित समाज के
बीच आपस में मिलजुल कर एक दुसरे के सुख दुःख साथ में रहते हैं |यह कहना
अतिश्योक्ति नही है कि एक रोटी में भी मिल बाँटकर खाना उन्हें आपस जोड़े रखता है और
जीवन में संघर्ष करते रहने के लिए जज्बा पैदा करता है | पहले ये परिवार
कालीनबिनकारी से अपनी आजीविका कमाते थे कुछ तो घर पर करघा लगाकर बिनकारी करते थे
कुछ परिवार बगल के गाँव नेवादा में बड़े निर्माताओं के करघे में जाकर बिनाई करते थे,
नेवादा कालीन बिनकारी का बड़ा केंद्र है| कालीन बिनाई में तकनीकी परिवर्तन के बाद
इन्हें काम मिलना बंद हो गया | तब इनमें से कुछ परिवार सुखी लकड़ी बीनकर उसे बेचकर
अपना खर्च चलाते हैं तो कुछ उत्सव खाना खाने की प्लेटें दोना और पत्तल बनाकर
परिवार का खर्च चलाते हैं कुछ ईट भट्ठों पर ईट बनाने का काम करते हैं | जिस सीजन
में जो काम मिल गया उसी से आजीविका चलाने की मजबूरी हमेशा मजबूरी इनके सामने होती
है | अछूत जाति से होने के कारण सवर्ण जातियां हमेशा इन पर हाबी रही हैं डर दबाव
भेदभावपूर्ण व्यवहार लगातार पीढीयों से झेलते हुए इन्हें कभी भी विकसित होने का
अवसर नही मिल पाया |
हालाकिं वर्तमान समय में बरहीं कलां गाँव लोहिया
ग्राम में चुना गया है जंहा प्रदेश सरकार की सभीलोककल्याणकारी योजनायें संचालित की
जानी है किन्तु मुसहर बस्ती आज भी जाबकार्ड, आवास, खडंजा, पेंशन,आदि सुविधाओ से
विहीन 2011 के दिसंम्बर माह में यंहा कुल 14 बच्चे गम्भीर कुपोषण से पीड़ित पाए गये
जिसकी शिकायत समिति द्वारा प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र बसनी चिकित्साधिकारी से की
गयी उनके द्वारा अविलम्ब कैम्प लगाकर सभी बच्चों की स्वास्थ्य जांच की गयी साथ ही
समिति द्वारा उन बच्चों को पोषक तत्वों के रूप में दाल एवं अन्य अनाज आदि की
व्यवस्था तात्कालिक रूप से की गयी | आजीविका की बेहतर उपाय न होने के कारण मुसहर
परिवारों के बच्चे लगातार कुपोषण का शिकार रहते हैं अत: मानवाधिकार जननिगरानी
समिति द्वारा अमेरिकी दानदात्री संस्था ग्लोबल फण्ड फार चिल्ड्रेन के आर्थिक सहयोग
से मुसहर बस्ती के छ: माह से 6 वर्ष के 40
बच्चो प्रतिदिन गर्म उबला दूध दिया जाता है |
महानायक बिरसा मुण्डा के नाम पर मानवाधिकार
जननिगरानी समिति द्वारा बच्चों के लिए कार्यरत अमेरिकी संस्था ग्लोबल फण्ड फार
चिल्ड्रेन के आर्थिक सहयोग से आदिवासी महानायक बिरसा मुण्डा जनमित्र सामुदायिक
केंद्र का निर्माण कराया गया है |इस केंद्र का उद्दघाटन 21 अक्टूबर 2013 को हुआ और
इसी दिन यह केन्द्र ICDS विभाग आंगनवाडी कार्यकत्री ललिता देवी को सुपुर्द किया
गया अब बस्ती के छोटे बच्चों को आंगनबाड़ी की प्रतिदिन सेवा और देखभाल मिलने की
सम्भावना बढ़ गयी है, इसके पहले विपरीत मौसम बारिश अधिक गर्मी अधिक ठंढ में यह
केंद्र पेड़ के निचे चलता था और कम खुलता था | आंगनबाड़ी कार्यकर्ती ललिता देवी
केंद्र का सामान कंहा रखतीं, बस्ती में इन मुसहर परिवारों के घर तो फूस की झोपडी
के थे, कुछ के घर पक्के सरकारी इंदिरा आवास हैं भी बहुत जर्जर स्तिथि में. ऐसे
घरों में सामान रखने में हमेशा डर बना रहता है क़ी कब घर गिर जायेगा तो उसमे रखा
सामान भी नष्ट हो जायेगा | आज यह केंद्र समिति द्वारा समुदाय की निगरानी में
आंगनबाड़ी कार्यकर्ती को दिया गया |
समिति द्वारा 27 मुसहर बच्चे जो स्कूलजाते हैं स्कूल बैग, कापी, पेन्सिल,
रबर, कटर, रंग, पेन्सिल बाक्स आदि सभी बच्चों को गया.है साथ ही आंगनवाड़ी केंद्र
में नामांकित सभी बच्चों के लिए रंग,
ड्राइंग कापी, रबर, पेन्सिल, कटर, कहानियों की किताबें, तरह तरह के ब्रांडेड
खिलौने एवं ब्रांडेड झूले आदि आंगनबाड़ी कार्यकर्ती सुश्री ललिता देवी को सौंपा.
जिससे आंगनबाड़ी में आने वाले बच्चों का निमितिकरन व ठहराव हो सके | इन बच्चों का
भी इन संसाधनों के बीच शारीरिक और मानसिक विकास हो सके |
इस मौके पर समिति से डा. राजीव सिंह, श्रुति
नागवंशी, आनन्द प्रकाश, शिव प्रताप चौबे, मंगला प्रसाद, अरविन्द, दिलशाद खानइस
मौके पर परिवारों के बीच बैठकर मिठाई दाना चूरा मिलकर खाया और हर परिवार के बीच
मिठाई और दीपावली पर खाया जाने वाला चीनी की मिठाई बांटा गया |
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