Monday 1 August 2016

मातृत्व शिशु स्वास्थ्य मुद्दे पर चुनौतियां एवं आपबीती

      मातृत्व शिशु स्वास्थ्य मुद्दे पर चुनौतियां एवं आपबीती इंटरफेस
             27 जुलाई 2016 कामेश हट होटल जगतगंज वाराणसी
    जनमित्र न्यास/मानवाधिकार जननिगरानी समिति द्वारा चाइल्ड राइट्स एंड यू के सहयोग से

मातृ शिशु स्वास्थ्य मुद्दे पर चुनौतियां एवं आपबीती इंटरफेस 27 जुलाई 2016 को वाराणसी के जगतगंज स्थित कामेश हट होटल में जनमित्र न्यास/मानवाधिकार जननिगरानी समिति के द्वारा आयोजित किया गया | कार्यक्रम में परियोजना के लक्षित क्षेत्र से 49 महिलाएं 20 परुष 2 पीड़ित बच्चे (उम्र लगभग 10-11 वर्ष के बीच) एवं अन्य संस्थाएं, मडिया, उच्च अधिकारीयों, विभाग प्रतिनिधि एवं संस्था से 40 कुल 106 लोगों की सहभागिता रही | कार्यक्रम में मुख्य चिकित्साधिकारी डा. बी. बी. सिंह, संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य डा. प्रसुन्न कुमार, श्री. शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय चिकित्सालय सुपरिटेंडेट डा. अरविन्द सिंह, राजकीय महिला चिकित्सालय डा. प्रियंका, काउंसलर सुश्री. सारिका चौरसिया, पंडित दीनदयाल मंडलीय चिकित्सालय डा. अनूप कुमार, प्रमुख रूप से शामिल हुए |
इस इंटरफेस का आयोजन सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों से प्राप्त होने वाले स्वास्थ्य सेवाएं विशेषकर मातृत्व शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को प्राप्त करने में आने वाली समस्याओं एवं बाधाओं को स्वास्थ्य विभाग के साथ साझा करते हुए उन चुनौतियों को दूर करने की अपेक्षा से किया गया था | जिससे स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित महिलाओं एवं बच्चों को स्वास्थ्य सेवा उनके पहुंच में हो, उनमें आ रहे बाधाओं की पहचान करके उन्हें दूर किया जा सके |  मातृ एवं शिशु मृत्यु के कारणों को दूर करते हुए एनीमिया, कुपोषण एवं बच्चों में रुग्णता की दर में कमी लाया जाए | वंचित समूह का सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर विश्वास बढ़े |
पैनल जिसमें स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारीयों, को स्वास्थ्य संस्थानों की चुनौतीपूर्ण स्थितियों, सुविधा एवं संसाधनो के अभावों, स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा लापरवाही, दुर्व्यवहार एवं उपेक्षा की घटनाओं की शिकायत, स्वास्थ्य कर्मियों की कमी, इलाज में कर्ज लेने को बाध्य स्थितियां, मातृ के सोशल आडिट रिपोर्ट के छुपे हुए पक्ष को साझा किया गया | 19 प्रसव में अवैध धन उगाही, भेदभाव, सेवा नही दिए जाने की शिकायत, 2 बच्चों को चोट लगने की घटना में मंडलीय चिकित्सालय द्वारा लापरवाही, 12 मामले स्वास्थ्य संस्थानों में मानक अनुसार संसाधन एवं सेवाएं की कमी, 3 ग्राम में आशा की नियुक्ति की मांग कुल 32 वे मामले जिनमें पूर्व में सक्षम अधिकारीयों को शिकायत की गयी थी, उनकी फ़ाइल पैनल के समक्ष रखी गयी |   
सरकार द्वारा संचालित मातृत्व एवं नवजात शिशु स्वास्थ्य सेवाओं के मानकीकरण Maternal and Newborn Health Tookit के अनुसार स्वास्थ्य संस्थानों के वर्गीकरण Level 1 के 33 केन्द्र, Level 2 के 10 केन्द्र, Level 3 के 3 केन्द्र कुल 46 स्वास्थ्य केन्द्र की स्थितियों का आंकलन रिपोर्ट भी साझा किया गया ये केन्द्र अभी बहुत ही न्यूनतम सेवाएं जो बहुत चुनौतीपूर्ण स्थिति में है |
120 ईलाज में कर्जदारों परिवारों परिवारों का विश्लेषणात्मक अध्ययन साझा किया गया, जिसमें यह तथ्य उभरकर आया कि गरीब एवं वंचित समुदाय से सम्बध ये परिवार पहले सरकारी चिकित्सालय में ईलाज हेतु गए लेकिन संतोषजनक प्रभावी सेवा नही मिलने, उपेक्षा का शिकार होकर ग्रामीण क्षेत्र के गैर पंजीकृत प्राइवेट क्लिनिक में भारी कर्ज लेकर ईलाज करने को विवश हुए | ये प्राइवेट क्लिनिक वे हैं जिनके दक्षता का कोई भी प्रमाण उनके पास नही होता है | अधिकांश परिवार ईलाज में कोई असर नही होने पर झाड़फूंक भी करवाए | एक हजार से एक लाख पचहत्तर हजार तक की राशि प्रसव, आंत में सूजन, टीबी, टाइफाइड, चोट लगने जैसे घटनाओं में ईलाज और झाड़फूंक के लिए लेना पड़ा |
मातृ मृत्यु की 7 घटनाओं में मातृ मृत्यु सोशल आडिट की विभागीय प्रारूप के आधार पर संस्था द्वारा किए गए आडिट की रिपोर्ट रखी गयी | मातृ मृत्यु की इन सभी धटनाओं में डाक्टरों के अनुसार महिला की मृत्यु का प्रमुख कारण खून की कमी ही बताया गया | 7 में से 1 महिला की मत्यु मेडिकल कालेज में हुई उसे PHC से जानकारी और रेफरल सेवा नही मिली वह बसनी PHC पिंडरा PHC, जिला महिला चिकित्सालय होते हुए एम्बुलेंस ड्राइवर की सहायता से मेडिकल कालेज पहुंची | जिससे काफी समय बर्बाद हुआ | 4 महिलाएं जिनकी मृत्यु प्राइवेट हास्पिटल में हुई वे सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र से बिना प्रबन्धन किए यह कहकर वापस भेज दी गयी कि, प्रसूता गम्भीर स्थिति में है, उन्हें किसी प्राइवेट हास्पिटल में दिखाए | 2 महिलाएं जिनकी मृत्यु घर पर हुई वे भी सरकारी चिकित्सालय से वापस भेंज दी गयी थी | इन रिपोर्ट को स्लाइड प्रेजेंटेशन के माध्यम से पैनल के सामने रखते हुए छुपे हुए कारणों को संज्ञान में लाया गया |
श्री शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय चिकित्सालय सुपरिटेंडेट डा. अरविन्द सिंह –  डा. अरविन्द सिंह ने उपस्थित समुदाय से कहाकि आपसे मैं यह गुजारिश करूंगा कि, आपको यदि किसी भी स्तर पर किसी स्वास्थ्य कर्मी या अन्य किसी से लापरवाही या अवैध वसूली शिकायत हो तो जरुर उस केन्द्र के मुखिया से उसकी शिकायत करें | किसी के बहकावे में कभी ना आएं, मै SSPG चिकित्सालय के 14 न० कमरे में बैठता हूँ कोई भी शिकायत हो तो आप मुझसे आकर शिकायत करें | आप केवल स्वास्थ्य से जुड़े मामलों में ही नही बल्कि आपके जिन्दगी से जुड़े दुसरे मामलों में भी यदि कोई कर्मचारी आपका हक मारता हो तो आपको इसकी शिकायत करनी चाहिए |
संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य डा. प्रसुन्न कुमार - डा. प्रसुन्न कुमार जी ने मातृत्व शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए, गर्भवती महिला की देखभाल के लिए परिवार को सचेत होने के लिए, लैंगिक दृष्टीकोण से अंतर ना किए जाने पर जोर देते हुए प्रेरित किया | Level 1 अंतर्गत आने वाले केन्द्रो में अभी मानक अनुसार व्यवस्थाएं नही हैं, उसके लिए और लापरवाह आशाओं के बीच सुधार का प्रयास जारी है |

राजकीय महिला जिला चिकित्सालय डा. प्रियंका – प्रियंका ने कहाकि मैं दुसरे किसी के बारे में कोई सफाई नही दे सकती हूँ लेकिन अपने बारे में आपको यह बता रही हूँ कि, मैं कभी भी लापरवाही नही करती हूँ | रेफरल केश का भी फालोअप करती हूँ जब तक वह महिला संस्थान में नही पहुंच जाती है | आपको कोई शिकायत हो आप अस्पताल प्रशासन से जरुर बताएं | अस्पताल परिसर में दलाल/ठग घूमते हैं उनके बहकावे में कभी नही आएं |
मुख्य चिकित्साधिकारी डा. बी. बी. सिंह - डा. बी. बी. सिंह द्वारा फ़ाइल में लगे सभी केशो को पलटकर देखा गया और कुछ केशो को सुना भी गया | उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहाकि सबसे पहले तो मैं पीड़ितों ने जो केश बताए या मेरे सामने रखे गए मैं बतौर CMO उनकी कमियों को स्वीकार करता हूँ | और आपको आश्वासन देता हूँ कि मैं इनमे जाँच कराके अवश्य उचित कार्यवाही करूंगा | आपलोग तो एक तरह से हमारी मदद कर रहे हैं | स्वास्थ्य कर्मी लालच करते हैं प्रयास करके मैं धांधली रोकूंगा हम बदलाव का पूरा प्रयास करेंगे | जबकि सरकार हमें इतना तनख्वाह देती है कि, हम सरकारी लोग अच्छे से अपना परिवार चला सकते हैं | मैं बैठकों में स्वास्थ्य कर्मियों के व्यवहार में परिवर्तन लाऊंगा, | आपलोग निराश नही हों सरकारी योजनाओं से जुड़कर पूरा लाभ लें |
डा. मोहमद आरिफ – डा. आरिफ जी ने कहाकि संस्था द्वारा रखी गयी विश्लेषणात्मक रिपोर्टें बहुत ही तथ्यपरक और जमीनी हकीकत को सामने ला रही है | हम विश्लेषणों को समझकर यदि पहल करेंगे तो जरुर अच्छे परिणाम सामने आएँगे | आप सभी को भी एकजुट होकर स्वास्थ्य की दिशा में पहल करना होगा |
डा. लेनिन रघुवंशी –  जो भी सकारात्मक बदलाव हुए हैं उनसे प्रेरित होते हुए स्वास्थ्य केन्द्रों में मिलने वाली सुविधाओं को लेना चाहिए | क्योंकि आपकी ग्रामीण क्षेत्रों में जो डाक्टर डिस्पेंसरी खोलकर बैठे हैं वे असल में डाक्टर हैं ही नही उन्हें ईलाज और दवाओं का कोई ज्ञान नही होता हैं | वे आपके शरीर पर प्रयोग करते हैं और अपना झोला भरते हैं | स्वास्थ्य केन्द्रों की व्यवस्था को ठीक करना हम सब की जरूरत है वरना आप जिन क्षेत्रीय डाक्टर से अपना ईलाज कराते हैं वे रजिस्ट्रेशन, पर्चा, डिग्री और बोर्ड लगाए बिना ही डाक्टर बन गए है | आप ईलाज के लिए कर्ज में डूब रहे हैं | इसलिए जो सेवाएं हैं उन्हें लेंगे जो नही हैं उनकी मांग करेंगे और केन्द्रों में सुधार लाएंगे |  
सभी चिकित्साधिकारियों को ईलाज में कर्जदारों का विश्लेष्णात्मक अध्ययन, मातृ मृत्यु सोशल आडिट रिपोर्ट, ANM वर्कलोड मूल्यांकन रिपोर्ट, Maternal and Newborn Health Tookit के अनुसार स्थिति रिपोर्ट एवं सिफारिश सहित स्वास्थ्य अधिकार हनन के केश फ़ाइल दिया गया जिससे वे तमाम जमीनी हकीकत से वाकिफ होकर अपने स्तर से सुधारात्मक प्रयास करें |

कार्यक्रम का संचालन श्रुति नागवंशी, मातृ मृत्यु की सोशल आडिट रिपोर्ट मंगला प्रसाद द्वारा, ईलाज में कर्जदारों का विश्लेष्णात्मक अध्ययन को शोभनाथ द्वारा, ANM वर्कलोड मूल्यांकन रिपोर्ट आनन्द निषाद द्वारा, Maternal and Newborn Health Tookit के अनुसार स्थिति रिपोर्ट अनूप श्रीवास्तव द्वारा एवं धन्यवाद ज्ञापन डाक्टर राजीव सिंह, ने दिया |    










                                                     

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