Monday 26 September 2016

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में कुपोषण जनित बीमारी से मौत


विषय : उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के लाखापुर ग्राम में अठारह माह के बच्चे झिरू मुसहर की कुपोषण जनित बीमारी से मौत हो गयी, लाखापुर में अन्य कुपोषित बच्चों के समुचित पोषण एवं स्वास्थ्य देखभाल की व्यवस्था में भारी कमी है, कृपया घटना को संज्ञान में लेकर उचित एवं आवश्यक कार्यवाही किया जाय |


महोदय/महोदया,

हम आपका ध्यान अठारह माह के मुसहर बच्चे की कुपोषण से मृत्यु के सन्दर्भ में आकृष्ट कराना चाहते हैं | उत्तर प्रदेश शासन द्वारा बच्चों, गर्भवती एवं धात्री महिलाओं में कुपोषण दर में कमी लाने हेतु राज्य पोषण मिशन के अंतर्गत कई विशेष कार्यक्रम संचालित किया गया है, बावजूद भी वंचित जातियों के बच्चे एवं महिलाओं की पहुंच योजनाओं तक नही है | अनुसूचित जाति का अठारह माह का कुपोषित बच्चा झिरू मुसहर जिसका वजन मात्र 5kg825grm था, ईलाज के दौरान मृत्यु हो गयी वह निमोनिया दस्त और बुखार से पिछले कई महीनों से पीड़ित था | उसके माता पिता ईट भठ्ठे पर काम करते हैं, बीमारी के लक्षणों पर आसपास के झोलाछाप डाक्टरों से झिरू का ईलाज करा रहे थे | लेकिन बच्चे की हालत में स्थाई सुधार नही देखकर ओझाई/झाड़फूंक भी कराते रहे, उन्हें लगता था कि बच्चे पर किसी ने भूत कर दिया है | माता पिता को झिरू के लगातार कम होते वजन और बिमार रहने से काफी चिंता बनी रहती थी | चूंकि दक्ष चिकित्सीय जाँच और परीक्षण व्यवस्था तक उनकी पहुंच नही थी सो बच्चे की बीमारी का ठीक ईलाज नही हो पा रहा था  |
घटना का संक्षिप्त विवरण
17 सितम्बर 2016, पं० दीनदयाल मंडलीय चिकित्सालय में ईलाज के लिए एडमिट किए जाने के समय में 18 माह के झिरू का वजन मात्र 5.825 किलोग्राम था, जबकि अगस्त 16 में उसका वजन 7 किलोग्राम था | मानवाधिकार जननिगरानी समिति के कार्यकर्ताओं द्वारा ईट भठ्ठे पर जाकर अप्रैल माह में जब वजन किया गया था तब झिरू का वजन 9.100kg दर्ज किया गया था और वह सामान्य श्रेणी में था | जुलाई, 16 में झिरू का वजन लगभग 4 kg कम हो गया वजन मैपिंग में उसका वजन 5kg दर्ज किया गया | अप्रैल, के बाद झिरू को दस्त और बुखार की शिकायत हुई जिसका ईलाज उसके माता पिता भठ्ठे के करीब के दवाखाने से दवा करा रहे थे | लेकिन संक्रमण का उचित ईलाज नही होने के कारण झिरू को दस्त होते रहे और बुखार से भी पीड़ित रहा जो बीच-बीच में ठीक होकर पुन: दोहराव हो जाता था, जिससे उसका वजन लगातार गिरता रहा और इसी बीच वह निमोनिया से भी पीड़ित हो गया था | 1 अगस्त 2016 को RBSK टीम द्वारा लाखापुर मुसहर बस्ती में स्वास्थ्य कैम्प लगाया गया, चूँकि उस दिन बारिश हो रही था जिसके कारण  कैंप में मात्र 25% बच्चों का ही स्वास्थ्य परीक्षण हो पाया | जाँच में झिरु की हालत गंभीर बताई गई थी उसे NRC वाराणसी हेतु रिफर किया गया, मगर रेफरल प्रबंधन नहीं किया गया, जिससे झिरू NRC नही पहुंच पाया |
17 सितम्बर, 2016 को झिरू को पं० दीनदयाल मंडलीय चिकित्सालय में सांस लेने में तकलीफ बुखार और दस्त से पीड़ित होने कारण गम्भीर संक्रमण की अवस्था में उसके माता-पिता द्वारा समिति के कार्यकर्ताओं के सहयोग से एडमिट कराया गया | उस समय झिरू का वजन 5kg.825ग्राम था | झिरू निमोनिया और दस्त से पीड़ित होने के कारण बहुत ही गम्भीर अवस्था में दिखाई दे रहा था | उसकी हालत को देखते हुए NRC में लेने से इंकार कर दिया गया, लेकिन मानवाधिकार कार्यकर्ता, मंगला प्रसाद द्वारा मुख्य चिकित्साधिकारी से मोबाइल पर शिकायत किए जाने के बाद उनके निर्देश पर पं० दीनदयाल मंडलीय चिकित्सालय में झिरू को भर्ती कर लिया गया | लेकिन बच्चों के लिए इंटेंसिव केयर की सुविधा नही उपलब्ध होने के कारण बच्चे को विशेष एवं आवश्यक देखभाल सेवाएं नही मिल पा रही थी | डाक्टरों द्वारा कई बार उन्हें BHU जाने का सुझाव दिया गया लेकिन परिवार ने असमर्थता जता दिया, जिससे पं० दीनदयाल में ही ईलाज चलता रहा | 20 सितम्बर, 16 को दिन में लगभग 11-12 के बीच बच्चे में कोई हरकत ना होता देखकर झिरू के माता पिता समझ गए की बच्चा अब जीवित नही है, धीरे से उसे चिकित्सालय से बिना किसी को बताए ही वापस घर आ गए | इस बीच चिकित्सालय से बाहर जाते देखकर वंहा नियुक्त सुरक्षा कर्मियों ने माता पिता से पूछा भी कि बच्चा ठीक है तो उन्होंने हाँ में उत्तर देकर निकल पड़े | उन्हें गलतफहमी थी की बच्चे की मृत्यु जाहिर करेंगे तो उसका पोस्मार्टम होगा जो उनके मान्यता के आधार पर ठीक नही होता है |
झिरू के परिवार की स्थिति -  
झिरू के पिता, राजकुमार मुसहर एवं माँ धर्मावती, निवासी ग्राम पंचायत खरावन लखापुर, मुसहर बस्ती, ईट भठ्ठा में मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं | इनके परिवार में कुल 2 व्यस्क (पति-पत्नी), एवं कुल 5 बच्चे (अतवारी, उम्र 12 वर्ष, रेखा, उम्र 10 वर्ष, वीरू, 5 वर्ष, झिरू, उम्र 18 माह(मृत), मुकेश, 2 माह) रहे, किन्तु उन्हें केवल तीन यूनिट का राशन मिलता है, उन्हें राशन का स्लिप भी नही मिला है, परिवार के पास कोई जाबकार्ड नही है और ना ही किसी प्रकार का स्वास्थ्य बीमा ही हुआ है |

लखापुर मुसहर बस्ती में पोषण योजना की स्थिति –
बस्ती में 0-5 वर्ष के 28 बच्चे थे, जिसमें वर्तमान समय में 56.25% बच्चे गम्भीर कुपोषण के शिकार हैं | सितम्बर, 16 में मानवाधिकार जननिगरानी समिति द्वारा लखापुर के 27 बच्चों में 16 बच्चों का पोषण मैपिंग किया जा सका, तब झिरू सहित कुल 9 बच्चे, पारो, 2.3 माह वजन 8 kg, ऊदल, 4.2 माह, वजन 9 kg, शिवानी, 2.6 माह, वजन 7kg.900ग्राम, विजय, 3.10 माह, वजन 8kg.600ग्राम, अजय, 4.2 माह, वजन 10kg.200ग्राम, धीरज, 6 माह, वजन 4kg, अंश, 11 माह, वजन 5kg.100ग्राम, पंकज, 1.1 माह, वजन 6.kg300ग्राम, गम्भीर कुपोषणग्रस्त अवस्था में पाए गए | जुलाई माह में समिति द्वारा 16 बच्चों के पोषण मैपिंग में 12 SAM बच्चे एवं 4 MAM बच्चे यानि 75% बच्चे कुपोषित चिन्हित किए गये | जिनकी सूचि बनाकर चिकित्सा प्रभारी बडागांव को देकर स्वास्थ्य कैम्प की मांग किया गया |
इस सन्दर्भ में उत्तर प्रदेश सरकार के 22 दिसम्बर, 2004 के शासनादेश जिसमें भूख और कुपोषण से राहत के लिए आर्थिक सहायता का प्राविधान है, इस सन्दर्भ में प्रदेश सरकार के जनसुनवाई पोर्टल- समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली ऊ०प्र०(सन्दर्भ संख्या-: 40019716002190) पर जिलाधिकारी महोदय वाराणसी को 16 अगस्त 16 को पंचायत निधि से एक हजार रूपये की आर्थिक सहायता प्रति कुपोषित बच्चों के परिवार को खानपान हेतु दिलाने का मांग किया गया, जिस पर कोई कार्यवाही नहीं हुआ |
अप्रैल, 16 में चंदन ईट उधोग, गजापुर, वाराणसी पर जंहा इनके अभिभावक ईट बनाने का काम कर रहे थे, मानवाधिकार जननिगरानी समिति के कार्यकर्ताओं द्वारा भठ्ठे पर जाकर बच्चों का पोषण मैपिंग किया गया | जिसमें 46.66% बच्चे गंभीर कुपोषण के शिकार मिले | जिसकी सूची बनाकर स्वास्थ्य कैंप लगाने हेतु लिखित पत्र प्रभारी चिकित्साधिकारी, बड़ागांव, वाराणसी को दिया गया, किन्तु भठ्ठे पर स्वास्थ्य कैंप नहीं लगा | |

लखापुर में ICDS सेवाओं की स्थिति -
लखापुर मुसहर बस्ती के 0–6 वर्ष के बच्चे सरोज देवी के मिनी आंगनबाड़ी केंद्र से जुड़े हैं जो, बस्ती से लगभग 500 मीटर दूर प्राथमिक विद्यालय में अन्य 2 आंगनबाड़ी केन्द्रों भी प्राथमिक विद्यालय में ही संचालित होते है | मुसहर बस्ती के बच्चे गर्भवती एवं धात्री महिलाएं सरकारी अभिलेखों में सम्भवतः पोषण एवं स्वास्थ्य सेवाएं पाते होंगे, लेकिन वास्तव में उन्हें ICDS केंद्र से सेवाएं नही मिलने की शिकायत है | RBSK द्वारा पोषण मैपिंग के दौरान 9 कुपोषित बच्चे दर्ज किए गए लेकिन ICDS के रजिस्टर में केवल 4 गम्भीर कुपोषित बच्चे चिन्हित किए गए हैं, किन्तु किसी बच्चे को गर्म पका पोषणयुक्त भोजन नही दिया जाता है | हौसला पोषण मिशन के अधीन केवल 4 गर्भवती महिलाओं को चिन्हित किया गया है, लेकिन किसी महिला को हौसला पोषण मिशन के अधीन गर्म पका हुआ खाना नही मिलता है | जबकि सूत्रों के अनुसार संयुक्त बैंक खाते से 2000 रूपये की राशि खानपान हेतु निकाली गयी है किन्तु किसी भी महिला को पका हुआ खाना नही दिया गया है | केंद्र में सहायिका की नियुक्ति नही है, अत: बच्चों को केंद्र पर बुलाने कोई नही जाता है, इस स्थिति में जितने बच्चे केंद्र में पहुंच जाते हैं, वे पोषाहार लेकर वापस चले आते हैं | उन्हें पूर्व प्राथमिक शिक्षा नही दिया जाता है, बच्चों को बैठने के लिए दरी या टाटपट्टी नही है पोषाहार की बोरियों को सिलकर उनके बैठने की व्यवस्था की गयी है | आंगनबाड़ी कार्यकर्ती रजिस्टर पर सभी कार्य भली भांति निपटा देती हैं | पोषाहार खाने और पकाने का बर्तन कार्यकर्ती के घर पर रखा हुआ है, पोषाहार खाने के लिए बच्चे अपने घर से बर्तन लाते हैं जिसे बिना धुले उसी में पोषाहार या हाटकुक बच्चे खा लेते हैं | आंगनबाड़ी कार्यकर्ती द्वारा बच्चों को पोषण स्वास्थ्य एवं स्वच्छता सबंधी अच्छे व्यवहारों का विकास नही किया जाता हैं |
लखापुर मुसहर बस्ती में खाद्य सुरक्षा एवं स्वास्थ्य की स्थिति - 
वाराणसी जिले के बड़ागांव विकास खंड अंतर्गत ग्राम पंचायत खरावन,  ग्राम लाखापुर मुसहर बस्ती में कुल 26 मुसहर परिवार निवास करते हैं | जिनके आजीविका का कोई स्थाई संसाधन नहीं है, आजीविका कमाने के लिए मुसहर परिवार ईट भट्ठों पर ईट पथाई का काम करते हैं | ईट पथाई के काम में मुसहर परिवारों को अधिकांश मालिकों द्वारा एडवांश देकर कराया जाता है, जिसके बदले न्यूनतम मजदूरी भी नही दिया जाता है | उनके अशिक्षा का फायदा उठाकर हिसाब-किताब में उनकी मजदूरी भी मार दिए जाने की घटनाएं प्रकाश में आती हैं | बारिश के मौसम में लगभग सभी परिवार पंजाब चले जाते हैं, जंहा कटाई के बाद खेतों में गिरा हुआ अनाज बटोरकर इकठ्ठा करते हैं | यह काम लगभग एक महीने का होता है जिससे उन्हें लगभग 10 हजार की कमाई हो जाती है, जो उनके द्वारा कमाई न होने के समय में लिए गए कर्जो को चुकाने के काम आता है |
26 मुसहर परिवारों में केवल 4 परिवारों को सरकारी आवास योजना के तहत आवास मिल पाया है | शेष 22 परिवार प्लास्टिक की पन्नी से छांव बनाकर अपने परिवार सहित रहते हैं, जिससे सर्दी, गर्मी और बारिश के मौसम का प्रभाव परिवार के सभी सदस्यों को झेलना पड़ता है |
NFSA के बाद कोटेदार द्वारा 20 परिवारों को राशन तो दिया जाता है, लेकिन राशन स्लिप पर यूनिट कम दर्ज किया गया है, अत: परिवारों को यूनिट से कम राशन मिलता है | बस्ती में सभी प्रसव घरेलू होते हैं, जबकि उपस्वास्थ्य केंद्र बस्ती से करीब 900 मीटर की दुरी पर है, जो जीर्ण शीर्ण अवस्था में है, जिस पर गाँव के कतिपय लोगों का अवैध कब्जा है | ANM बहनजी द्वारा अगस्त, 16 में पहली बार शिकायत किए जाने पर मुसहर महिलाओं का टीकाकरण किया | किसी महिला को ANC–PNC की सेवाएं नही मिलती हैं | मुसहर सहित अन्य जातियों की महिलाएं भी सुरसत्ती दाई से घरेलू प्रसव कराती हैं |
लखापुर मुसहर परिवारों के बच्चों में कुपोषण दर कम करने और उन्हें मौत से बचाने एवं स्वस्थ्य स्तर को बेहतर बनाने के लिए निम्नवत सघन प्रयास किए जाने चाहिए -
1.    लखापुर, मुसहर बस्ती के चिन्हित कुपोषित बच्चों को अविलम्ब भूख और कुपोषण से मुक्ति के लिए उत्तर प्रदेश सरकार, के 22 दिसम्बर, 2004 के शासनादेश के अनुसार प्रति बच्चे को एक हजार रूपये की आर्थिक सहायता राशि दी जाए |
2.    राशनकार्ड से वंचित 6 परिवारों को NFSA से जोड़ते हुए अविलम्ब राशनकार्ड दिया जाए |
3.    राशन स्लिप में दर्ज कम यूनिट संख्या की जाँच करके परिवार संख्या के आधार दस्तावेजों को ठीक कराते हुए, यूनिट के आधार पर राशन दिया जाए, जिससे वास्तविक रूप में परिवारों की खाद्य सुरक्षा सुनिशिचित हो |
4.    मिनी आंगनबाड़ी केंद्र द्वारा मुसहर परिवारों को दी जा रही सेवाओं का आडिट किया जाए एवं प्रकाश में आयी कमियों एवं चुनौतियों के अनुरूप कार्ययोजना बनाई जाए, जिससे बच्चों, गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को सभी 6 सेवाएं बिना अवरोध के प्राप्त हो सकें |
5.    स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा संस्थागत प्रसवों को प्रोत्साहन दिया जाए यह जाँच का विषय है की आज भी लखापुर में मुसहर सहित अन्य महिलाएं भी घरेलू प्रसव कराती हैं |
6.    मुसहर परिवारों का अविलम्ब स्वास्थ्य बीमा नि:शुल्क कराया जाए |
7.    मुसहर परिवारों का जाबकार्ड बनवाकर उन्हें अविलम्ब मनरेगा से जोड़ा जाए |
8.    ईट बनाने के काम में दक्ष मुसहर परिवारों का प्रवास रोकने के लिए उनके निवास स्थान पर लधु उधोग की ईकाई (ईट निर्माण) स्थापित किया जाए |
9.    इन परिवारों को समाजवादी पेंशन योजना से जोड़ा जाए |


भवदीया
श्रुति नागवंशी
मैनेजिंग ट्रस्टी
मानवाधिकार जननिगरानी समिति
सा 4/2 ए, दौलतपुर, वाराणसी
+91-9935599330/1














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