Tuesday 4 September 2018

नवजात शिशु देखभाल



गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल क्षमतावृद्धि कार्यशाला  
ट्रेनर :- डॉ. आमिर व् इमरान जी (http://vatsalya.org.in/ )
दिनांक 30 अप्रैल से 02 मई 2018 तक ।
स्थल :- पीवीसीएचआर कार्यालय बघवानाला वाराणसी ।
सर्वप्रथम परिचय सत्र चला जिसमें ट्रेनर सहीत कार्यशाला में भाग लेने वाले जेएमएन कार्यकर्ताओं द्वारा अपने कार्य के अनुभव सही कार्य क्षेत्र को लेकर कार्य करने के विषय पर परिचय हुआ तथा कार्यशाला के उद्देश्य को लेकर कार्यशाला में भाग लेने वाले  जेएमएन कार्यकर्ताओं से जानकारी लिया गया वही उपरोक्त कार्यशाला में सीखने की अपेक्षा को लेकर सर्वप्रथम प्री टेस्ट लिया गया । तथा ट्रेनर द्वारा उपरोक्त प्री टेस्ट के अध्ययन के बाद  कार्यशाला में भाग लेने वाले सभी कार्यकर्ता को प्राथमिक स्तर की सभी जानकारियां है इसके आगे जानकारी दिया जाएगा ।
इसके बाद किशोरियों की उम्र  को लेकर डब्ल्यूएचओ मानक में जानकारी लिया गया जिसमें कार्यकर्ताओं द्वारा बताया गया कि डब्ल्यूएचओ के मानक अनुसार किशोरियों का उम्र 10 से 19 साल के बीच होता है । जिसके बाद नवजात शिशु एवं पूर्व नवजात शिशु के दिनों के विषय में जानकारी लिया गया जिसमें कार्यकर्ता द्वारा बताया गया कि नवजात शिशु 28 दिन व पूर्व नवजात शिशु 1 सप्ताह का होता है । जिसके बाद नवजात शिशु पूर्व नवजात शिशु की मृत्यु आंकड़ों को ग्राफ के माध्यम से जानकारी दिया गया कि नवजात शिशु 28 दिन का है जिसका 50%  नवजात शिशु का मृत्यु 48 घंटे के अंदर होता है । इसी प्रकार शिशु मृत्यु को घंटे से लेकर दिन, सप्ताह, महीनों तक के आंकड़ों को ग्राफ के माध्यम से जानकारी दिया गया । और नवजात के खतरे के लक्षण को बताया गया जिस के बचाव को लेकर भी निम्न जानकारियां दिया गया कि गोल्डन डे मां के गर्भ में बच्चा आने से लेकर बच्चे के जन्म के 2 वर्ष तक कुल 1000 दिन को गोल्डेन डे कहा जाता है यदि मां के पेट में गर्भ आने से नवजात शिशु के जन्म  के 48 घंटे तक  नियमित मानक अनुसार  मां सहित  जन्मे बच्चे  को  सभी सेवाएं मिल जाए तो 50%  नवजात शिशु मृत्यु को कम किया जा सकता है ।
मां के पेट में गर्भ आने के बाद गर्भवती का गर्भ परीक्षण यूरिन टेस्ट हो कि महिला गर्भवती है या नहीं गर्भ की जानकारी मिलने के बाद  गर्भवती का पंजीकरण होकर एमसीपी कार्ड मीले उसके बाद  बीपी, एनीमिया, ब्लड सुगर, एचआईवी, ब्लड ग्रुप, वजन, के परीक्षण के बाद टीटी का टीका व आयरन फोलिक एसिड की 180 गोली का सेवन 20 सप्ताह के अंदर करें, यदि एनिमिक गर्भवती हो तो वह 360 गोली का सेवन करें, यदि HRP गर्भवती हो तो डॉक्टर के सलाह अनुसार आयरन का सेवन करें, व कैल्सियम की गोली का सेवन करें, उपरोक्त अनुसार नियमित सभी जांचें हो तथा गर्भवती माता को खान पान की सेवाएं सहित परिवार का प्यार व गर्भवती महिला को दिन में 2 घंटे व रात में कम से कम 8 घंटे आराम ( सोये ) करें तथा पोषण युक्त समय-समय पर नियमित तिरंगा थाली का भोजन मिलता रहे व गर्भवती साफ सफाई एवं स्वच्छता के साथ दो-दो घंटे पर जो कुल मिलाकर पहले से एक चौथाई अधिक भोजन खाना  चाहिए (खाने की बार को बढ़ावे) नियमित भोजन खाती रहे जिससे गर्भवती का 3 माह में न्यूनतम वजन 1-1 1/2 किग्रा बढ़े तथा 4-6वे माह तक 3 - 4 किग्रा वजन बढ़े तथा 7-9वे महीने में 5 - 7 किलो वजन बढ़े कुल मिलाकर 10-12 किग्रा वजन बढ़ना चाहिए ।  तथा सुरक्षित संस्थागत प्रसव हो यदि गर्भवती HRP हो तो प्रसव पूर्व संपूर्ण तैयारियां जैसे ब्लड देने वाले देने वाले सदस्य, गर्भावस्था की समस्त जाँच रिपोर्ट, प्राइवेट संसाधन का संपर्क नंबर, इमरजेंसी हेतु रुपए अपने पास रखें तथा लेबल 3 हॉस्पिटल जहां आपरेशन से प्रसव होता हो व हॉस्पिटल में ब्लड बैंक की सुविधा हो ।  तथा प्रसव होने के बाद बच्चे की शरीर पर Meconium की हल्की साफ सफाई के तुरंत बाद जल्द से जल्द लगभग आधे घंटे के अंदर शिशु को कोलेस्ट्रम पिलाने से माता का प्लेसेंटा डिलीवरी, यूट्रस का सिकुड़ना व रक्त स्राव कम हो जाता है जिसे BUP (Bliding Utters Placenta) कहते हैं ।  शिशु मां के गर्भ में 37 के तापमान में रहता है जब वह मां के गर्भ से जन्म लेता है तो तापमान अधिक या  कम रहता है जिस तापमान को बनाए रखने के लिए शिशु को KMC प्रसूता या परिवार का अन्य कोई सदस्य की सेवाएं दे इस पर  ख्याल न करने पर हाइपोथर्मिया से बच्चे पीड़ित हो जाते हैं जिस के बचाव के लिए HBNC कार्यक्रम  के तहत साफ सफाई से हाथ धोकर बच्चे का वजन लेना तापमान नापना कंबल लपेटना स्वास्थ्य के संक्रमण को पहचानने हेतु सांसे गिनने से उपरोक्त प्रक्रिया से हाइपोथर्मिया रोग से बचाया जा सकता है । नवजात के स्तनपान की सही स्थिति पर चर्चा करते हुए बताया गया की शिशु का गाल फुला हो, नाक दबा न हो, माता के स्तन का अरोएला का भाग शिशु के मुंह में हो शिशु को 8 से 10 मिनट तक स्तनपान कराना चाहिए और वही बच्चा कम से कम 1 दिन में सात से आठ बार पेशाब करें तो समझ लो कि बच्चा भरपेट दूध पी रहा है । नवजात के शरीर के hit loss न हो इसके लिए शिशु की सही तरीके से कपडे में लपेटने की विधि को भी बताया गया। इसके बाद टीकाकरण ग्रोथ चार्ट के बारे में बताया गया जिसमें टीकाकरण के प्रकार और कार्य पर चर्चा हुआ।  इसके बाद आशा के नवजात के जन्म के बाद 42 दिन में 6 और 7 विजिट की चर्चा और उसके पास सामग्री और कार्य / सेवाओं की चर्चा की गयी।  नवजात की देखभाल , पोषण, बीमारी का ईलाज, और सम्पूर्ण टीकाकरण के माध्यम से नवजात /शिशु को जीवन रक्षण किया जा सकता हैं बच्चे के पोषण के अभाव से संक्रमण पर  NRC पर चर्चा करते हुए बताया गया की वहाँ पर एक Nutrsiyn, एक MBBS, एक MD dr. बाल चिकित्सक  होते हैं जिनकी निगरानी में NRC चलता हैं। जिसमें JSY के माध्यम से खाना मिलता हैं 14 दिन एडमिट रखते हैं। और उसके बाद 4 विजिट होती है बच्चे की स्तिस्थि में सुधार व् उपचार की स्थितियों की जानकारी लिया जाता है ।
वही जन्मे शिशु को किसी प्रकार की बीमारी/ समस्या होने पर लेवल- 2 स्वास्थ्य केंद्र में NBCC व लेबल 3 के FRU CHC में NBCC NBSU तथा महिला जिला चिकिसालय में NBCC NBSU SNCU की सेवाएं हो तथा NBCC के अंतर्गत डॉक्टर स्टाफ नर्स को NSSK के तहत पूर्ण रूप से ट्रेनिंग मिला हो व NBSU की सेवा देने हेतु  मेडिकल ऑफिसर / बाल रोग विशेषज्ञ को F -IMNCI/ बच्चों की चिकित्सा हेतु  बाल चिकित्सक का प्रशिक्षण मिला हो 1 नर्सिंग स्टाफ Per shift  होंगी । कुल 4 नर्सिंग स्टाफ होंगे जिन्हें भी F-IMNCI में प्रशिक्षण मिला हो।  SNCU सेवा देने हेतू 12-बेड हो जिसमें इकाई के लिए ( +4 बेड Step down area )में, जिसमें स्टाफ कार्यरत रहेंगे- स्टाफ नर्स: 10 बाल रोग विशेषज्ञ / मेडिकल ऑफिसर SNCU में  प्रशिक्षित हो तथा 3-4 (बाल रोग विशेषज्ञ / मेडिकल ऑफिसर और नर्स को FBNC में  प्रशिक्षित हो सहायक कर्मचारी: 4, 1 लैब टैक्नीशियन ( पार्ट टाइम) और 1 डेटा एंट्री ऑपरेटर तथा सभी लेवल में क्या उपकरण हो जिसे चित्र के माध्यम से दिखाया गया जैसे - BP  apparatus with stethoscope, sterilized intruments, radiant warmer, oxygen hood(neonatal), pediatric stethoscope etc. । तथा बीमार शिशु को नियमित मानक अनुसार सेवाएं मिले तो अर्ली नवजात शिशु मृत्यु, नवजात शिशु मृत्यु, बाल मृत्यु, मातृ मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है ।  
 IPHS मानक में  स्वास्थ्य संस्थान  की जनसंख्या आधारित ढांचा :- IPHS मानक अनुसार जिला चिकित्सालय 4 से 5 लाख की जनसंख्या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 80000 से 120000 की जनसंख्या PHC 30000 जनसंख्या व उप स्वास्थ्य केंद्र 5000 की जनसंख्या  पर  बनना है ,  वही अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलने हेतु IPHS मानक में कहीं उसका जिक्र नहीं दिया गया है ।
राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम :-  0 से 5 वर्ष का कोई भी बच्चा गंभीर बीमारी से ग्रसित हो जाने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा रिफर पत्र लिखने के बाद मेडिकल कालेज में मुफ्त में इलाज कराया जा सकता है ।
हाइपोथर्मिया :- जब शिशु हाइपोथर्मिया  का शिकार होता है उसे  विटामिन K का इंजेक्शन लगता है जिसका लक्षण शिशु का शरीर नीला या पीला पड़ने लगता है ।
परिवार नियोजन :-  नियोजन के कई संसाधन हैं जिसके साथ साथ नसबंदी भी किया जाता है लेकिन परिवार नियोजन कभी शत प्रतिशत सफल नहीं होता है ।
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